मध्य प्रदेश के नागद्वारी यात्रा अमरनाथ यात्रा जैसी 7 पहाड़ चढ़कर पहुंचते हैं मंदिर साल में सिर्फ नागपंचमी से पूर्व 10 दिन के लिए खुलता है रास्ता
मध्य प्रदेश के नागद्वारी यात्रा अमरनाथ यात्रा जैसी 7 पहाड़ चढ़कर पहुंचते हैं मंदिर साल में सिर्फ नागपंचमी से पूर्व 10 दिन के लिए खुलता है रास्ता
मध्यप्रदेश में नागद्वारी यात्रा 1 अगस्त से शुरू हो गई। मध्य प्रदेश की सतपुड़ा की सुगम बदियो में स्थित पचमढ़ी के पहाड़ों की गुफाओं के बीच स्थित नागद्वारी मंदिर को मध्य प्रदेश का अमरनाथ कहलाता हैं। नागद्वारी यात्रा पर जा रहे श्रद्धालुओं को अमरनाथ यात्रा की तरह ही पहाड़ चढ़कर दुर्गम रास्तों से जाना होता है।
नागद्वारी मंदिर सावन महीने में नागपंचमी से पूर्व सिर्फ 10 दिन खुलता है। इस धाम को देवों के देव महा देव का दूसरा घर भी कहा जाता हैं। यहां. इस वर्ष 1 अगस्त से 10 अगस्त तक मेला शुरू हो चूका है । यहां मध्यप्रदेश ही नहीं साथ ही साथ मध्य प्रदेश के पडोसी राज्यों से भी जैसे छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से बड़ी सख्या में श्रद्धालु आते हैं। प्रबंधन कमेटी का कहना है की इस साल अनुमान है की 4लाख से 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद जाता रहे है। श्रद्धालुओं के लिए सामाजिक सेवा सस्थान ने उत्तम व्यवस्था बनाई हुई है
अब जानते है यात्रा कहा से किन मार्गो से पूरी होती है.नागद्वारी यात्रा की शुरुआत नागफनी पर्वत से शुरू होती है। ये यात्रा करीब 16किलोमीटर की है। इस दौरान लग भग दुर्गम सात पहाड़ चढ़ने होते हैं। इनमें सर्पाकार पगडंडियों और लोहे की सीढ़ियों की मदद से मंदिर तक पहुंचना होता है। रास्ते में कुछ रास्ते बहुत सकरे ओर दुर्गम होते है जिसमें श्रद्धालु भगवान भोले नाथ के जयकरे की गूंज से आसान बना लेते हैं।
यात्रा के रास्ते इतने दुर्गम हैं कि हर पल सँभाल के चलना होता है इस ही कारण यहां यात्रा कठिन मानी जाती है .कदम जरा भी डगमगाए तो सीधे गहरी खाई में गिरेंगे। हर कदम बहुत संभलकर रखना होता है। बारिश से फिसलन हो जाती है, ऐसे में ढलान में यह खतरा और बढ़ जाता है। बड़ी-बड़ी चट्टानों से गुजरना होता है। कई बार तो बहते पानी को भी पार करना होता है।
यहाँ स्थल टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आता है .
नागद्वारी गुफा मार्ग सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के क्षेत्र में आता है। इस कारण यहां प्रवेश वर्जित होता है। रिजर्व फॉरेस्ट प्रबंधन यहां जाने वाले रास्ते का गेट बंद कर देता है। साल में सिर्फ एक बार ही सावन महा में नागपंचमी से पूर्व 10-11 दिन नागद्वारी यात्रा के लिए इस रास्ते को खोला जाता है। मान्यता के अनुसार नागद्वारी यात्रा करने से हर कामना पूर्ण होती है .