नवरात्रि के द्वितीय दिन मां ब्रह्मचारिणी का जानें माँ ब्रह्मचारिणी की कथा और बीज मंत्र

नवरात्रि के द्वितीय दिन मां ब्रह्मचारिणी का जानें माँ ब्रह्मचारिणी की कथा और बीज मंत्र

इस समय शारदीय नवरात्र चल रहे हैं। 4 अक्टूबर को नवरात्रि का दूसरा दिन है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्माचारिणी की पूजा- अर्चना की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया। इस कारण मां को ब्रह्मचारिणी कहा गया है।

माँ ब्रह्मचारिणी देवी पार्वती का अविवाहित रूप हैं। उन्होंने इस अवतार में दक्ष प्रजापति के घर जन्म लिया था । वह सभी सौभाग्यों के प्रदाता भगवान मंगल को नियंत्रित करने वाली हैं।वह कठिन तप करती है वह नंगे पैर विचरण करती हैं, उनके दो हाथ हैं और उनके दाहिने हाथ में जप माला और बाएं हाथ में कमंडल है। हिंदू धर्मग्रंथों के मान्यता अनुसार, देवी ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उन्होंने कई वर्षों तक बिल्व पत्र, फूल, फल आदि का आहार लिया और कुश पर खुले आसमान के नीचे धरती पर सोईं। उन्होंने चिलचिलाती गर्मियों में तथा सर्दियों और तूफानी बारिश में खुले स्थानों पर रहकर कठोर उपवास भी किया।और कुछ समय बाद उन्होंने बिल्व पत्र,फूल ,फल भी खाना छोड़ दिया और बिना भोजन और पानी के अपनी तपस्या में निरंतर लगी रही।

इससे प्रसन्न होकर ब्रम्हा जी ने उन्हें वरदान दिया की उनकी मनोकामना पूर्ण होगी और उनकी मनोकामना भगवान शिव की पत्नी बनने की थी और उन्हें भगवान शिव पति रूप में प्राप्त हुए।इस कथा का सार यह है की जीवन में कठिन सघर्षो से विचलित नहीं होना चाहिए।

ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा करने से तप, त्याग, वैराग्य और संयम जैसे गुणों का स्वाभाविक विकास होता है। साथ ही, व्यक्ति अपने नैतिक आचरण को निखार सकता है। इसके अलावा, ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा करने से व्यक्ति अपने सभी लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है।

नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी का दिन होता है इस दिन देवी ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है।

बीज मंत्र जिसका जाप करके आप अपनी पूजा को सफल बना सकते है

मां ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र: ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:स्तुति मंत्र: या देवी सर्वभू‍तेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥