छिंदवाड़ा: शिक्षक माता-पिता ने अमानवीय चेहरा आया सामने : 3 दिन के नवजात को जंगल में पत्थरों के बीच छोड़ा,मामला दर्ज
धनोरा चौकी अंतर्गत ग्राम नांदनवाड़ी में एक हृदय विदारक घटना सामने आई, जहां एक 3 दिन के नवजात शिशु को उसके ही माता-पिता ने लावारिस हालत में जंगल में छोड़ दिया। घटना की सूचना राहगीरों को मिली, जिन्होंने तुरंत स्थानीय पुलिस और एंबुलेंस को सूचित किया।
शिशु को प्राथमिक उपचार के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धनोरा में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों के अनुसार, नवजात के शरीर पर चींटियाँ और अन्य कीड़े लगे थे और ठंड में रात भर रहने के बावजूद कोई गंभीर इन्फेक्शन नहीं हुआ। इसके बाद बच्चे को बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल रिफर किया गया। नवजात शिशु सुरक्षित है।
धनोरा पुलिस के अनुसार, दोषी माता-पिता की पहचान बबलू डांडोलिया और राजकुमारी डांडोलिया (ग्राम सिधौली, थाना तामिया) के रूप में हुई। बबलू डांडोलिया अमरवाड़ा में रहते हैं और राजकुमारी डांडोलिया प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 3 में शिक्षक हैं।
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकार किया कि यह उनका चौथा बच्चा था। नौकरी में सेवा समाप्त होने के डर और पत्नी के गर्भावस्था को छुपाने के कारण उन्होंने रात में 23 सितंबर 2025 को नवजात को जन्म दिया। इसके बाद नवजात को जंगल में लावारिस छोड़ दिया गया।
ग्रामवासियों का आरोप:
ग्रामवासियों का कहना है कि पुलिस ने मामले को सही तरीके से दर्ज नहीं किया और धारा 109 (सहयोग कर अपराध में शामिल होने) को आरोपियों पर लागू नहीं किया। वे इस घटना के खिलाफ शासन को ज्ञापन देने की तैयारी कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश सरकार का नियम: शासकीय कर्मचारी की संतान
मध्यप्रदेश सरकार के नियमों के अनुसार, सरकारी कर्मचारियों के लिए अधिकतम तीन संतान नीति लागू है। इस नियम के अनुसार:
तीन से अधिक संतान होने पर कर्मचारी को भविष्य में प्रमोशन या सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलता।
यदि कर्मचारी की तीन से अधिक संतान होती है, तो उन्हें नौकरी में सजा या सेवा समाप्ति का खतरा हो सकता है।
इस मामले में, दंपति के पास पहले से तीन संतान (दो बेटियाँ और एक बेटा) थे। चौथी संतान होने पर नौकरी में परेशानी का डर और समाजिक दबाव उन्हें इस घिनौने कदम की ओर ले गया। यह मानसिक तनाव, सामाजिक दबाव और भय का गलत परिणाम था, जो एक दर्दनाक अपराध में परिणत हुआ।