छिंदवाड़ा जिला घोषित हुआ “जल अभावग्रस्त क्षेत्र”, कलेक्टर ने पेयजल संरक्षण हेतु जारी किए सख्त निर्देश

जिले में लगातार गिरते भूजल स्तर और संभावित पेयजल संकट को देखते हुए कलेक्टर कार्यालय द्वारा छिंदवाड़ा जिले को “जल अभावग्रस्त क्षेत्र” घोषित कर दिया गया है। यह आदेश 15 जून 2025 तक अथवा वर्षा प्रारंभ होने तक प्रभावशील रहेगा।

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष सामान्य वर्षा के बावजूद जिले के अधिकांश जल स्रोतों में जलस्तर में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है। सार्वजनिक जल स्रोतों के आसपास निजी नलकूपों और कुओं की खुदाई के कारण स्थिति और भी चिंताजनक हो गई है।

कलेक्टर द्वारा जारी आदेश में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए हैं:

निजी जल स्रोतों पर प्रतिबंध: अब बिना अनुमति के किसी भी शासकीय भूमि पर स्थित जल स्रोतों से पेयजल और घरेलू उपयोग को छोड़कर किसी अन्य कार्य हेतु जल उपयोग वर्जित होगा।

नया नलकूप खनन प्रतिबंधित: किसी भी व्यक्ति को बिना अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) की पूर्व अनुमति के निजी या ठेकेदार स्तर पर नलकूप खनन की अनुमति नहीं होगी।

शासकीय नलकूप से दूरी अनिवार्य: नए नलकूप का निर्माण शासकीय नलकूप से 150 मीटर के दायरे में पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा, और उनकी गहराई शासकीय नलकूप से कम रखी जानी अनिवार्य है।

विशेष परिस्थितियों में निजी जल स्रोत का अधिग्रहण: यदि कोई सार्वजनिक पेयजल स्रोत सूख जाता है और कोई अन्य विकल्प उपलब्ध नहीं होता, तो संबंधित अधिकारी जनहित में निजी जल स्रोत को निर्धारित अवधि के लिए अधिग्रहित कर सकते हैं।

इस आदेश का पालन सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी जिले के समस्त अनुविभागीय दण्डाधिकारी, तहसीलदार, पुलिस अधिकारी, नगरीय निकायों के प्रमुखों और ग्राम पंचायत सचिवों को सौंपी गई है।

कलेक्टर ने स्पष्ट किया है कि आदेश

यू का उल्लंघन करने पर संबंधित व्यक्तियों के विरुद्ध म.प्र. पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 9 एवं भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।

जनहित में अपील

कलेक्टर कार्यालय ने जिलेवासियों से अपील की है कि वे जल स्रोतों का संरक्षण करें और अनावश्यक जल उपयोग से बचें, ताकि सभी नागरिकों को समुचित पेयजल उपलब्ध हो सके।