छिंदवाड़ा की शांति बनीं प्रेरणा की मिसाल, भारिया जनजाति से पहली बार नीट में सफलता

छिंदवाड़ा जिले के आदिवासी अंचल की बेटी शांति पचलिया ने अपने नाम की तरह पूरे जिले में खुशियों की शांति फैला दी है। विशेष पिछड़ी जनजाति भारिया से ताल्लुक रखने वाली शांति ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-2025 में सफलता प्राप्त कर नया इतिहास रच दिया। यह उपलब्धि केवल उनके परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज और जिले के लिए भी गर्व का विषय बन गई है।

हर्रई विकासखण्ड के छोटे से गाँव बालूसार की रहने वाली शांति का बचपन कठिनाइयों और सीमित संसाधनों के बीच बीता। उनके पिता किसान हैं और माता गृहिणी। लेकिन इन चुनौतियों ने उनकी हिम्मत को कभी डगमगाने नहीं दिया। शासकीय विद्यालयों से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने वाली शांति ने आदिवासी उत्कृष्ट छात्रावास हर्रई में रहकर नीट परीक्षा की तैयारी की और निरंतर 4-5 घंटे की कठिन मेहनत से अपना सपना साकार किया।

शांति का सपना डॉक्टर बनकर अपने गाँव और क्षेत्र के लोगों की सेवा करना है। उनका कहना है – “मैं अपने गाँव को आगे बढ़ाना चाहती हूँ और हर जरूरतमंद की मदद करना मेरा लक्ष्य है।”

इस ऐतिहासिक सफलता में जिला प्रशासन छिंदवाड़ा के नवाचारों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह के नेतृत्व में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए जुलाई 2024 से ही नीट व जेईई की विशेष कोचिंग क्लासेस की शुरुआत की गई थी। इंदौर की प्रतिष्ठित कोचिंग संस्था एलेन की मदद से कार्यशालाएं, अध्ययन सामग्री, ऑनलाइन कोचिंग और शिक्षकों का विशेष प्रशिक्षण उपलब्ध कराया गया। इसी पहल का परिणाम है कि इस वर्ष लगभग 1400 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी, जिनमें से 80 से अधिक ने सफलता पाई है। इनमें कई छात्र-छात्राएं आदिवासी अंचलों से हैं।

कलेक्टर सिंह ने कहा —”सरकारी स्कूलों के बच्चों में गज़ब की प्रतिभा है। सही दिशा, संसाधन और प्रेरणा मिलने पर ये बच्चे बड़े-बड़े कीर्तिमान गढ़ सकते हैं। शांति जैसी बेटियाँ जिले का गौरव हैं।”