छिंदवाड़ा:आजादी के 75 साल बाद भी कुल्हड़पानी गांव तरक्की से कोसों दूर, सड़क के लिए ग्रामीणों ने खुद जुटाया चंदा

देश को आजाद हुए 75 वर्ष से अधिक हो चुके हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की जुन्नारदेव विधानसभा क्षेत्र के ग्राम आलमोद के अंतर्गत आने वाला छोटा सा गांव कुल्हड़पानी आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। गांव तक पक्की सड़क न होने के कारण बारिश हो या धूप, यहां के ग्रामीणों के लिए बाहर निकलना किसी चुनौती से कम नहीं।

370 की आबादी, लेकिन पक्की सड़क अब भी सपना
करीब 370 की आबादी वाले इस गांव में लगभग 55 मकान हैं, लेकिन यहां पहुंचने के लिए कोई पक्का रास्ता नहीं है। रास्तों की हालत ऐसी है कि बरसात में पूरा गांव कीचड़ और दलदल में तब्दील हो जाता है। स्कूली बच्चों, बुजुर्गों और बीमारों के लिए यह स्थिति बेहद कष्टदायक है।

चंदा इकट्ठा कर खुद बनाई कच्ची सड़क
सरकार और जनप्रतिनिधियों से कई बार गुहार लगाने के बावजूद जब कोई मदद नहीं मिली, तो ग्रामीणों ने खुद ही पहल की। हर घर से ₹1000 तक का चंदा इकट्ठा किया गया और उस पैसे से मिट्टी और मुरम डालकर एक अस्थायी सड़क बनाई गई, जिससे कम से कम आपातकालीन स्थिति में गांव से बाहर आना-जाना संभव हो सके। यह पहल ग्रामीणों की आत्मनिर्भरता को तो दर्शाती है, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता पर भी बड़ा सवाल खड़ा करती है।

बिजली, पानी और शिक्षा से भी वंचित
सड़क की समस्या के साथ-साथ गांव में न पीने का साफ पानी उपलब्ध है, न ही प्राथमिक शिक्षा की कोई सुविधा। बिजली आपूर्ति भी अनियमित और कमजोर है। ग्रामीणों का कहना है कि इस स्थिति में बच्चों की पढ़ाई, महिलाओं की सुरक्षा और बुजुर्गों की सेहत सभी खतरे में हैं।

जनप्रतिनिधियों के खोखले वादों से नाराज ग्रामीण
ग्रामीणों ने बताया कि हर चुनाव में नेताओं द्वारा बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन जीतने के बाद कोई भी गांव की सुध नहीं लेता। कई बार कलेक्टर और सांसद कार्यालय में आवेदन दिए गए, लेकिन आज तक केवल आश्वासन ही मिले हैं। “अगर आजादी के 75 साल बाद भी सड़क के लिए हमें खुद चंदा करना पड़े, तो यह शासन की असफलता का प्रमाण है,” — एक ग्रामीण ने गुस्से में कहा।

विकास के दावों की पोल खोलता कुल्हड़पानी
जहां एक ओर सरकारें ग्रामीण विकास के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा करती हैं, वहीं कुल्हड़पानी जैसे गांव उन दावों की हकीकत सामने लाते हैं। यह गांव आज भी विकास की मुख्यधारा से कटे हुए हैं और मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।

ग्रामीणों की मांग: स्थायी समाधान और अधिकारियों का दौरा
ग्रामीणों ने मांग की है कि जल्द से जल्द पक्की सड़क का निर्माण कराया जाए, पीने के पानी की व्यवस्था की जाए, प्राथमिक विद्यालय खोला जाए और बिजली व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए। साथ ही उन्होंने जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से अपील की है कि वे गांव में आकर जमीनी हकीकत खुद देखें।