क्यों मनाई जाती है हरतालिका तीज

क्यों मनाई जाती है हरतालिका तीज

सौभाग्यवती महिलाएं अपने सुहाग को अखंड बनाए रखने के लिए हरतालिका तीज का व्रत करती हैं। अविवाहित युवतियां मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए इस दिन उपवास व व्रत करती हैं। हरतालिका तीज को मनाने का एक पौराणिक कारण माता पार्वती और भगवान शिव हैं। माना जाता है  कि देवी पार्वती ने ही सबसे पहले हरतालिका तीज का व्रत करते भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए किया था। देवी पार्वती के पुराण में उल्लेख के तहत आज भी महिलाएं शिवजी और देवी  पार्वती जैसा ही दांपत्य जीवन पाने की कामना करती हैं।

हरतालिका मनाने की विधि हरतालिका तीज के दिन सुबह उठकर स्नान के बाद  हाथ में जल लेकर व्रत करने का संकल्प करें। देवी  पार्वती, शिव जी की मिट्टी की प्रतिमाएं बनाकर एक चौकी पर स्थापित करें। अगर प्रतिमा नहीं है तो किसी नदी की रेत से शिवलिंग बनाये फिर देवी पार्वती को वस्त्र, चुनरी और श्रृंगार के सामान से तैयार करें।बाज़ार से फूल बेलपत्ती आदि चीजे लाए शिवलिंग पर अर्पित करे फिर फूल, धूप, चंदन अर्पित करें। शिव जी को भांग, धतूरा और सफेद फूल अर्पित करें। महिला इस दिन  निर्जला उपवास के बाद रात में जागरण करे भजन कीर्तन और फिर मुहूर्त पर पूजा करें।

रात्रि जागरण के बाद सुबह सभी महिला बनाये गये शिवलिंग और शिव पार्वती की प्रतिमा को नदी के घाट में पूरे विधान से इनका विसर्जन करे फिर घाट से आने के उपरांत अपना उपवास छोड़े इस विधि से पूजन करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है ।