आज से एमपी में दिखेगी छठ की छटा,छठ पूजन विधि,छिन्दवाड़ा में छोटा तालाब में अघ्र्य की विशेष व्यवस्था
आज से एमपी में दिखेगी छठ की छटा,छठ पूजन विधि,छिन्दवाड़ा में छोटा तालाब में अघ्र्य की विशेष व्यवस्था
छठ पूजा का महापर्व चार दिन तक चलेगा, 5 नवंबर से शुरुआत होगी, छठ महापर्व मनाएगा पंचांग के अनुसार, छठ पूजा के पर्व की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है।इसलिए 5 नवंबर को नहाए खाए के साथ छठ पूजा की शुरुआत होगी।6 नवंबर को खरना रहेगा, जबकि 7 नवंबर को डाला छठ रहेगी और 8 नवंबर को पारण समापन के साथ ही छठ महापर्व का समापन हो जाएगा प्रदेश के लगभग सभी क्षेत्रों में पर की तैयारी चल रही है पुरे प्रदेश छठ पर्व की बाहर है इस ही प्रकार छिन्दवाड़ा में छठ पर्व के मद्देनजर छोटा तालाब में इंतजाम किये गए है पूर्व में ही छठ महापर्व को लेकर बनी ही रूपरेखा, छोटा तालाब पर होगा भव्य आयोजन
छिंदवाड़ा उत्तर भारतीय एकता मंच द्वारा लोक आस्था का महापर्व छठ पर छोटा तालाब में विभिन्न कार्यक्रम के आयोजन किया गया है । प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष छठ महापर्व के तीसरे दिन 7 नवंबर की शाम व्रती और घर-परिवार के सभी लोग छोटा तालाब में पहुंचकर अस्तचलगामी सूर्य को अघ्र्य देंगे। बता दें कि इस दिन डूबते हुए सूर्य को अघ्र्य देने की परंपरा है। वहीं चतुर्थ दिवस यानी 8 नवंबर की सुबह परंपरा के अनुसार उदीयमान सूर्य को अघ्र्य दिया जाएगा।7 नवंबर की शाम छोटा तालाब में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। इस पवन अवसर पर छोटा तालाब पर श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।
छठ पूजा एक हिंदू त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और झारखंड में मनाया जाता है।मगर आजकल ये त्योहार देशभर में मनाया जाने लगा ।इस दिन भक्त छठी मईया और भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना और कठिन व्रत का पालन करते हैं।छठ पूजा 4 दिनों तक चलता है।
छठ पूजा महत्व पूजन सामग्री :- यह पर्व खासकर संतान की प्राप्ति और उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए मनाया जाता है।चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में व्रतधारी लोग पूरी श्रद्धा के साथ सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करते हैं।इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, उसके बाद खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य के साथ यह पर्व संपन्न होता है
पूजा के लिए थाली, तांबे का लोटा, गिलास, दूध का लोटा, शुद्ध जल, नारियल, सिंदूर, कपूर, कुमकुम, चावल का इस्तेमाल होता है।
इस पूजा में विशेष भोग तैयार किया जाता है जैसे मालपुआ, खीर-पूड़ी, खजूर, सूजी का हलवा और चावल के लड्डू ये सभी भोग प्रसाद के रूप में बहुत महत्व रखते हैं।
पूजा में सेब, सिंघाड़ा और गन्ना जैसे फल और सब्जियां शामिल होती हैं।केले फल इस पूजा का एक अनिवार्य हिस्सा होता है।