स्पेस के क्षेत्र में भारत का चीन को जवाब, पड़ोसी देशों में बनाएगा 5 ग्राउंड स्टेशन्स
बेंगलुरु
स्पेस के क्षेत्र में पड़ोसी देशों के बीच चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारत ने अपनी अहमियत स्थापित करने की ओर कदम बढ़ाया है। विदेश मंत्रालय ने फैसला किया है कि चीन के असर से निपटने के लिए भूटान, नेपाल, मालदीव, बांग्लादेश और श्रीलंका में 5 बड़े ग्राउंड स्टेशन और 500 छोटे टर्मिनल बनाए जाएंगे।
क्षेत्रीय सहभागिता के अलावा पड़ोसी देशों में ट्रैकिंग और रिसीविंग सेंटर्स बनाने से भारत को बड़े फायदे हो सकते हैं। इन स्टेशन्स और टर्मिनल्स की मदद से टेलिविजन ब्रॉडकास्ट से लेकर फोन, इंटरनेट, आपदा प्रबंधन और टेलि-मेडिसन जैसे ऐप्लिकेशन किए जाए सकेंगे। इसरो भी इन ग्राउंड स्टेशन्स की मदद से अपने सैटलाइट्स से संपर्क बना सकेगा।
भूटान का स्टेशन चीन को तिब्बत का जवाब
सूत्रों के मुताबिक, इनमें से सबसे पहला ग्राउंड स्टेशन भूटान की राजधानी थिंफू में बन रहा है और यह 9 जनवरी से कमीशनिंग के लिए तैयार होगा। हो सकता है कि इसका उद्घाटन 15 तक हो जाए। भारतीय कंपनी अल्फा डिजाइन टेक्नॉलजीज इस प्रॉजेक्ट को लागू कर रही है। इस प्रॉजेक्ट के तहत ग्राउंड स्टेशन से जुड़े 100 VSAT भी बनाए जाएंगे, जिससे भूटान के दूरस्थ इलाकों में टीवी ब्रॉडकास्टिंग की सुविधा पहुंच सकेगी। थिंफू में भारत के स्टेशन को तिब्बत में चीन के सैटलाइट ट्रैकिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का जवाब माना जा रहा है।
दूसरे देशों की मदद
ऐसा ही एक प्रॉजेक्ट अफगानिस्तान में भी खड़ा किया जाएगा। इसरो चेयरमैन सिवान के ने बताया है कि विदेश मंत्रालय और इसरो इस मिशन को लेकर बहुत गंभीर हैं और इसरो हर सपॉर्ट देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि वे अपने लोगों को दूसरे देशों में भेजकर सैटलाइट सेवाएं इस्तेमाल कराने में मदद भी करेंगे। इस दिशा में आगे की योजनाओं के लिए 12 दिसंबर को इन देशों के प्रतिनिधियों से नई दिल्ली में बात की गई थी।