सौर बिजली उद्योग की एकसमान 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाने की मांग
नयी दिल्ली
सौर बिजली उत्पादकों के संगठन एसपीडीए ने समूची सौर बिजली उत्पादन प्रणाली (एसपीजीएस) पर एक समान 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाये जाने की मांग की है। संगठन का कहना है कि जीएसटी परिषद की हाल में की गई सिफारिशें सरकार की स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने की नीति के अनुरूप नहीं है।
अक्षय ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के प्रयास तथा सौर ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े तथ्यों को देखते हुए एसपीजीएस को आपूर्ति के लिये पूरे ठेके पर कर 5 प्रतिशत की रियायती दर से लगाया जाना चाहिए।’’
उद्योग संगठन ने कहा कि जीएसटी परिषद की मौजूदा सिफारिशें अक्षय ऊर्जा क्षेत्र को सरकार द्वारा दिये जा रहे प्रोत्साहन के अनुरूप नहीं है और यह सरकार की नीति एवं क्रियान्वयन में एक बड़ा अंतर पैदा करेगी।’’
सरकार ने 2022 तक अक्षय ऊर्जा की उत्पादन क्षमता 1,75,000 मेगावाट करने का लक्ष्य रखा है। इसमें 1,00,000 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षेत्र से जुटाने का लक्ष्य रखा गया है।
जीएसटी परिषद की 22 दिसंबर 2018 को हुई 31वीं बैठक में कहा गया कि एसपीजीएस की आपूर्ति के अनुबंध मामले में अनुबंध की कुल कीमत के 70 प्रतिशत को वस्तुओं की आपूर्ति समझा जाए और उस पर 5 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाये। शेष 30 प्रतिशत मूल्य को कर योग्य सेवा की आपूर्ति माना जाए तथा उस पर जीएसटी की मानक दर लगायी जानी चाहिये।
एसपीडीए ने कहा कि एसपीजीएस को की जाने वाली आपूर्ति में मुख्य रूप से वस्तुओं की आपूर्ति शामिल है। उसने कहा कि केवल 70 प्रतिशत आपूर्ति पर 5 प्रतिशत रियायती दर से कर लगाने का मतलब है पहले की उत्पाद एवं सेवा कर व्यवस्था के मुकाबले अधिक कर।
संगठन के अनुसार इससे प्रभावी दर 8.9 प्रतिशत होगी जो जीएसटी लागू होने से पहले 1.5 प्रतिशत से 2 प्रतिशत थी।
पत्र में एसपीजीएस को की जाने वाली पूरी आपूर्ति पर रियायती दर से कर लगाने की माग की गयी है तथा कहा गया है कि जीएसटी परिषद की ताजा सिफारिशों से सौर बिजली की लागत बढ़ेगी।