सिंधिया परिवार के राज वैद्य और राष्ट्रपति के वैद्य थे ऋषि कुमार शुक्ला के दादा

 
ग्वालियर/सागर। 

ऋषि कुमार शुक्ला के बाबा (दादा) रामेश्वर शास्त्री देश के जाने-माने आयुर्वेदाचार्य थे। वे सिंधिया परिवार के राज वैद्य होने के साथ-साथ देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के वैद्य भी रहे। शुक्ला ग्वालियर के रहने वाले हैं। उनके पिता बालकृष्ण शुक्ला हिंदुस्तान मोटर्स में जनरल मैनेजर रहे। शुक्ला को अपनी मां पद्मा शुक्ला से सबसे बेहद प्यार है।

शुक्ला की प्राथमिक शिक्षा की शुरूआत ग्वालियर के कार्मल कॉन्वेंट स्कूल फालका बाजार से हुई। यहां से एलकेजी व यूकेजी की शिक्षा ली। उसके बाद हिंदी हाईस्कूल कोलकाता में पढ़ने चले गए। कोलकाता में रहते हुए ही उनका चयन पहली बार आईआईटी खड़गपुर और दूसरी बार में आईआईटी कानपुर में हुआ। इंजीनियरिंग की शिक्षा बीच में छोड़कर बीए की डिग्री ली। तुरंत ही उनका चयन आईपीएस में हो गया। इसके बाद उन्होंने एमए (दर्शन शास्त्र) की डिग्री ली।

रामेश्वर शास्त्री के पांच पुत्र बालकृष्ण शुक्ला, रामचंद्र शुक्ला, आनंद माधव शुक्ला, गोविंद माधव शुक्ला, मुकुंद शुक्ला हैं। संयुक्त परिवार में 14 भाई-बहन हैं। शुक्ला का परिवार आज भी संयुक्त रूप से रहता है। जीवाजी विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला उनकी चचेरी बहन हैं।

सागर में क्रिकेट और बैडमिंटन खेला करते थे 
सागर में ट्रेनिंग के दौरान शुक्ला क्रिकेट और बैडमिंटन खेला करते थे। उनका ननिहाल सागर के नए बाजार में है। यहां उनके मामा शिवनारायण शुक्ला का घर है और मुन्ना शुक्ला व गुंजन शुक्ला रिश्ते में उनके भाई हैं। शिवनारायण शुक्ला ब्रिटिश काल में सागर में ही सिटी इंस्पेक्टर थे। शुक्ला पहले आईएएस अफसर बनाना चाहते थे।

मुन्ना शुक्ला बताते हैं कि ट्रेनिंग के दौरान वे रोज शाम को परकोटा स्थित अकादमी से पैदल नए बाजार स्थित उनके घर तक आते थे। फिर साथ में क्रिकेट, बैडमिंटन खेलकर रात में साथ में खाना खाकर पैदल ही जाते थे। करीब डेढ़ साल पहले वे सागर आए थे तो कटरा बाजार में नमक मंडी के पास प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए गाड़ी से उतर गए और ट्रेनिंग के दौरान वे जिन रास्तों से पैदल आते थे, उन्हीं रास्तों से पैदल घर तक आए। हालांकि रास्ता भटकने से उन्हें थोड़ा समय लगा।

निकनेम मधु है
शुक्ला का घर का नाम मधु है। उनके भाई उन्हें इसी नाम से बुलाते हैं। गुंजन शुक्ला बताते हैं कि उनकी शनिवार सुबह ही ऋषि कुमार शुक्ला से बात हुई तो उन्होंने फोन पर कहा कि अब डीजीपी के पद से मुक्त हो गया हूं। सब ताम-छाम भी खत्म हो गया है। अब आराम से आकर कुछ दिन सागर में आप लोगों के साथ रहूंगा और दोपहर में उनके सीबीआई डायरेक्टर बनने की खबर मिल गई।

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