शिवराज सरकार के बाद अब कमलनाथ सरकार भी साधु संतों को साधने में जुटी

भोपाल
एमपी की राजनीति में बाबा चर्चा का केन्द्र रहे है। शिवराज सरकार के बाद अब कमलनाथ सरकार भी साधु संतों को साधने में जुट गई है। इसी के चलते 17 सिंतबर को राजधानी भोपाल में बड़ा सम्मलेन करवाने जा रही है। इसकी ज़िम्मेदारी शिवराज सरकार की नाक में दम करने वाले और नर्मदा क्षिप्रा नदी न्यास के अध्यक्ष कंप्यूटर बाबा को सौंपी गई है। इस सम्मेलन में बाबा कांग्रेस पार्टी के लिए रणनीति बनाएंगे, साथ ही सरकार में बाबाओं की भूमिका क्या होगी इस पर भी चर्चा की जाएगी।  

दरअसल, आज मंगलवार को धर्मस्व मंत्री पीसी शर्मा और नदी न्यास के अध्यक्ष कम्प्यूटर बाबा ने बैठक कर संत समागम की तारीख तय की।कार्यक्रम को लेकर अभी स्थान का चयन होना बाकी है। समागम पर नर्मदा न्यास के अध्यक्ष कंप्यूटर बाबा ने कहा कि सरकार सभी संतों की बात को सुनेगी। पिछली सरकार ने कुछ नहीं किया था। इस समागम में पूरे प्रदेश से संत आएंगे। साधु-संत धर्मस्व क्षेत्र की समस्याओं को लेकर सरकार का ध्यान आकर्षित कराएंगे।  समागम में करीब 2500 संत जुड़ेंगे। वही बाबा ने पूर्व सीएम शिवराज पर हमला बोलते हुए कहा कि जब सरकार में शिवराज जी थे, संत समाज उनके पास बैठना चाहता था लेकिन उन्होंने हमें कभी नही बुलाया । खुशी की बात है कमलनाथ सरकार के सामने हमने अपनी बात रखी और उन्होंने सहमति दी है।

नर्मदा संरक्षण और संत समागम पर कमलनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि 17  सितंबर को संत समागम का आयोजन किया जायेगा।नर्मदा में मशीनों के द्वारा उत्खनन नहीं किया जाएगा, जो संत कहेगे वहीं कमलनाथ सरकार करेगी। वहीं धर्मस्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा है कि साधू-संतों के समागम से आने वाले सुझाव सरकार अमल में लाएगी।

इस समागम में फैसला लिया जाएगा कि प्रदेश में सरकार में साधू-संत किस तरह की भूमिका अदा करें। इस सम्मेलन में सीएम कमलनाथ के साथ पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह भी शामिल होंगे। सम्मेलन में यह रणनीति  बनाई जाएगी कि बाबाओ की सरकार में क्या भूमिका होगी…? इस सम्मेलन में प्रदेशभर के हजारों बाबा जुटेंगें।यह समागम कंप्यूटर के सानिध्य में होगा।

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