वरुण गांधी ने कर्जमाफी का किया समर्थन
भोपाल
भाजपा सांसद वरुण गांधी शुक्रवार को भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय पहुंचे। यहां के ज्ञान-विज्ञान भवन में वरुण गांधी की किताब 'अ रूरल मैनिफेस्टो' का विमोचन किया गया। छात्रों को संबोधित करते हुए वरुण गांधी ने कहा, हमारे देश में काम करने से मंत्री पद नहीं मिलता है। बल्कि मंत्री पद उसको मिलता है जिसका राजनीतिक रसूख होता है। वहीं, उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि यह समय जिन्दाबाद या मुर्दाबाद के नारे लगाने का नहीं है बल्कि समय है नीतिगत सुधार पर काम करने का। उन्होंने यह भी कहा कि, हमारा काम चुनाव जीतना और हारना नहीं है। हमें देश बनाना है और समय है नई पीढ़ी के विकाश का।
सिंचाई की नीति के कारण किसान कर रहे हैं आत्महत्या
मोदी सरकार का नाम लिए बिना वरुण गांधी ने पीएम मोदी और सरकार पर जमकर हमला बोला। वरुण गांधी ने किसानों की कर्ज माफी का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट के विदर्भ में हर दिन एक किसान आत्महत्या कर रहा है। किसानों की सिंचाई के लिए इस देश में कोई भी नीतिगत कार्य नहीं किए गए। उन्होंने कहा, कहा कि 100 औद्योगिक घरानों को जितना लोन माफ किया गया है उसके मुकाबले किसानों की 1956 से अब तक हुई कर्जमाफी महज 19 फीसदी है। मनरेगा को उन्होंने कहा कि मनरेगा सफल योजना है। वरुण गांधी ने कहा कि आज आर्थिक लोग किसानों की लोन माफी के खिलाफ बोलते हैं। 61 फीसदी आबादी किसान है जरा उठाकर देखिये की देश के 100 बड़े घरानों के लोन माफी कितना हुआ है। वरुण ने किसानों की उपज का मूल्य पर मोदी सरकार पर हमला बोला।
57 फीसदी फलों की फसल 46 घंटे में खराब हो जाती है। एक किसान को मंडी में फसल बेचने में औसत 1.4 दिन लगता है। मतलब उसे एक रात अपनी ट्राली के साथ ही बिताना पड़ती है। उपज का 16 फीसदी ही स्टोरेज क्षमता है देश में। 1 फीसदी देश 99 फीसदी देश पर हावी हो रहा है। नीतियों में हम कभी प्रभावित की राय लेते हैं। मुझे शौक है व्यवस्था को उंगली करने का। बहुत आसान है ये कहना कि प्राइवेट स्कूल में बच्चे को पढ़ाएं। एवरेज फीस 60 हजार है। 81 फीसदी IAS 15 बड़े शहरों से आते हैं। ये सभी प्राइवेट स्कूल से पढ़कर आये हैं, क्या ये गांव की हालत समझ सकते हैं। बिना ट्यूशन के आईआईटी और आईआईएम में जगह नहीं। मध्यम वर्गीय क्या करे। हमारे पास 15.5 लाख स्कूल हैं, अंग्रेजी स्कूल 1.5 फीसदी हैं और यही 1.5 फीसदी लोग आईआईटी और आईआईएम में जा रहे हैं। हमें शिक्षा के लिए आउट ऑफ बॉक्स सोचना पड़ेगा।
मनरेगा सफल योजना
वरुण गांधी ने मनरेगा पर चर्चा करते हुए कहा कि मनरेगा बहुत सफल स्कीम है बस इस स्कीम का विकेंद्रीकरण जरूरी है। खेत से खेत सड़क और खेत से मंडी सड़क बनाना चाहिए। अपनी किताब के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि हम केंद्रीयकरण और असमानता के शिकार हुए हैं। उन्होंने बैंगलुरू का उदाहरण बताते कहा कि वहां 8 से दस सालों में पानी खत्म हो जाएगा। यदि हम खेती-बाड़ी में तकनीक का भी इस्तेमाल करेंगे तो काफी मदद मिलेगी। एक-एक व्यक्ति की मदद करें या एक लाख व्यक्ति की तो ये ऊंट के मुंह में जीरो होगा। यदि आपको करोड़ों लोगों की मदद करना है तो नीतिगत काम करना होगा या पॉलिसी रिफार्म पर करना होगा। वरुण गांधी ने कहा कि हमने सबसे पहले यह कहा था कि हम सांसद की तन्ख्वाह नहीं लेंगे। हर माह जो किसान परिवार हैं जिन्होंने आत्महत्या की है उनके परिवारों को हम चैक के रूप में देंगे। यह क्रम पांच वर्ष चला।