रविवार को फ्रेट कॉरिडोर में 25 टन एक्सल लोड वाली ट्रेन का ट्रायल
नई दिल्ली
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) परियोजना में हो रही देरी के बीच रेलवे रविवार को पश्चिमी क्षेत्र में राजस्थान के मादर (अजमेर) और हरियाणा के किशनगढ़ (रेवाड़ी) के बीच नवनिर्मित 306 किलोमीटर खंड पर एक भारी-भरकम मालगाड़ी का परीक्षण करने जा रही है। यह खंड दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसका उद्देश्य माल की परिवहन क्षमता को बढ़ाना है, साथ ही यात्री और माल यातायात के साथ भीड़भाड़ वाले मौजूदा रेल नेटवर्क का बोझ घटाना है। देश में पहली बार 25 टन एक्सल लोड वाले भारी-भरकम ट्रेनों के संचालन में सक्षम इस खंड में 15 बड़े पुल और 271 छोटे पुल और 177 रोड अंडर ब्रिज (आरयूबी) शामिल हैं। वर्तमान में भारतीय ट्रेनों की परिचालन क्षमता 22.5 टन एक्सेल लोड की है, जबकि भारी भरकम ट्रेनें केवल अमेरिका, कनाडा, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, चीन, रूस, दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन और नार्वे में चलाई जाती है।
इसलिए है अहम
इस 306 किलोमीटर लंबे रूट पर छह नवनिर्मित मालगाड़ी स्टेशन- दाबला, भागीगा, श्री माधोपुर, पचर मालिकपुर, साखुम और किशनगढ़ और तीन जंक्शन्स- रेवाड़ी, अटेली और फुलेरा है। डीएफसी परियोजना भारतीय रेल के लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि उसे सड़क मार्ग से माल ढुलाई से काफी कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है। रेल मार्ग से माल ढुलाई से कीमती जीवाश्म ईंधन की बचत होगी, जो पर्यावरण के लिए भी वरदान सिद्ध होगा।
2020 में पूरा होगा प्रॉजेक्ट
कुल 81,400 करोड़ रुपये की डीएफसी परियोजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल की साल 2006 में ही मंजूरी मिली थी, लेकिन उसके बाद जमीन अधिग्रहण और पर्यावरण मंजूरी जैसे विभिन्न कारणों से यह परियोजना कई डेडलाइन बीत जाने के बावजूद पूरी नहीं हो पाई। पहले इस परियोजना को वित्त वर्ष 2016-17 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, फिर इसे वित्त वर्ष 2017-18 किया गया और अब मार्च 2020 कर दिया गया है।