मोती नगर फैक्ट्री हादसा: 7 साल की बच्ची से छिना पिता-भाई का साया, मां की हालत गंभीर
नई दिल्ली
मोती फैक्ट्री में हुए धमाके में 7 साल की बच्ची सोनी ने अपने भाई और पिता को खो दिया, जबकि मां अभी अस्पताल में जिंदगी और मौत से लड़ रही हैं। सोनी गुरुवार रात से ही अपनी मां के पास अस्पताल में मौजूद थीं और उसका रो-रोकर बुरा हाल है। शुक्रवार जब वह घटनास्थल पर पहुंची तो उसके साथ आसपास रहने वाली तीन चार महिलाएं मौजूद थीं, सभी महिलाएं फैक्ट्री मालिक और प्रशासन पर अपना गुस्सा दिखा रही थीं। एनडीआरएफ की टीम पूरी रात बचाव कार्य में जुटी रही।
महिलाओं का कहना था कि इस इलाके में कुछ दिन पहले ही नगर निगम ने सीलिंग करने के लिए नोटिस दिया था, लेकिन प्रशासन ने उस नोटिस को नजरअंदाज कर दिया जिसका नतीजा यह हुआ कि आज एक मासूम के सिर से उसके भाई और पिता का साया उठ गया। बच्ची की मां मंजू अभी जिंदगी और मौत के बीच अस्पताल में संघर्ष कर रही हैं।
मासूम बच्ची घटनास्थल पर रोते रोते इतना ही कह रही थी कि मम्मी और पापा फैक्ट्री में घंटों काम करते रहते थे। आसपास पड़ोस के लोगों ने बताया है कि राजेश और उनकी पत्नी मंजू दोनों ही सुदर्शन पार्क इलाके में ही किराए के एक मकान में रहते थे। फैक्ट्री में काम और पास में ही कमरा होने की वजह से वह अक्सर ओवरटाइम लगा लिया करते थे। मम्मी और पापा के एक फैक्ट्री में ही काम करने की वजह से बच्चे भी अक्सर वहां चले जाया करते थे। गुरुवार रात जिस समय यह घटना हुई सोनी ट्यूशन गई हुई थी और उसका भाई कमरे पर अकेला होने की वजह से मम्मी पापा के पास फैक्ट्री में चला गया और इसी दौरान धमाके में उसकी जान चली गई।
कुछ ही देर में बंद होनेवाली थी फैक्ट्री
फैक्ट्री में धमाका होने के वक्त मौजूद कारीगर सुनीता ने बताया, फैक्ट्री बंद होने ही वाली थी। 15-20 मिनट में ताला लग जाता। शुक्रवार को फैक्ट्री चलाने के लिए दो सिलिंडर लाने थे। भट्ठी भी बंद कर दी गई थी, लेकिन फिर पंखे के कुछ माल पर जरूरी पेंट करना याद आ गया। डिलिवरी शुक्रवार को ही देनी थी। इसके लिए भट्टी जलाने के लिए जैसे ही माचिस की तीली चलाई वैसे ही आग का जोर का गुब्बार उठा और तेज धमाका हुआ। इसके बाद छत हम पर आ गिरी।
घायलों को नहीं मिल रहा इलाज: परिजन
बिल्डिंग गिरने से घायल लोगों को इलाज के लिए भी दर-दर भटकना पड़ा। घायलों के परिजनों का आरोप है कि इलाज ठीक से नहीं किया जा रहा है।
फैक्ट्री में घायल हुए मुन्ना की बहन हिना का कहना है कि घटना के बाद रातभर उनके भाई को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल डॉक्टर रेफर करते रहे। उनका ठीक से इलाज नहीं हो पा रहा है। हिना ने बताया कि रात में फैक्ट्री में धमाके के बाद मुन्ना को आचार्य भिक्षु अस्पताल में एडमिट कराया गया। रात में ही उनके भाई को सफदरजंग अस्पताल भेज दिया गया। सफदरजंग अस्पताल ने दीनदयाल अस्पताल रेफर कर दिया। गुरुवार देर रात करीब 1:00 बजे तक उनके भाई का इलाज दीनदयाल अस्पताल में नहीं किया गया। आरोप है कि डॉक्टरों ने बर्न वॉर्ड न होने की बात कहते मुन्ना का इलाज करने से मना कर दिया। आखिर में मुन्ना को सफदरगंज अस्पताल ही भेज दिया गया।