महाकाल ने तीन रूपों में भक्‍तों को दर्शन दिए

उज्जैन
 श्रावण के तीसरे सोमवार पर भगवान महाकालेश्वर ने सवारी में शिव तांडव स्वरूप में दर्शन दिए। वे गरुड़ रथ पर थे। महाकाल मंदिर के सभा मंडप में भगवान के चंद्रमौलेश्वर स्वरूप का पुजारियों ने पूजन-अर्चन किया। इसके बाद स्वरूप को फूलों से सजी चांदी की पालकी में विराजित किया गया। जयकारों के बीच शाम 4 बजे पालकी को कंधे पर उठाकर रवाना किया।

मुख्य द्वार पर सशस्त्र बल ने सवारी को सलामी दी। इसके बाद सवारी महाकाल चौक, गुदरी, पानदरीबा होकर रामघाट पहुंची। रामघाट पर शिप्रा के जल से भगवान का अभिषेक कर सवारी शाम सात बजे पुन: मंदिर लौटी। सवारी में हाथी पर भगवान के मनमहेश और गरुड़ पर शिवतांडव स्वरूप के श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। पालकी आते ही दर्शनार्थी जयकारे लगाते हुए फूलों की वर्षा करते रहे। अगली सवारी 12 अगस्त को निकलेगी। इसके बाद भाद्रपद की भी दो सवारी निकाली जाएगी। 26 अगस्त को प्रमुख सवारी निकलेगी।

सात घंटे कतार में लगने के बाद हुए नागचंद्रेश्वर के दर्शन : नागपंचमी और श्रावण सोमवार के संयोग पर महाकालेश्वर मंदिर के तीसरे माले पर स्थित नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं काे दर्शन के लिए सात घंटे से ज्यादा कतार में लगना पड़ा। नागचंद्रेश्वर के पट केवल नागपंचमी पर 24 घंटे के लिए खोले जाते हैं। रविवार रात 12 बजे महंत प्रकाश पुरी ने ताला खोल कर भगवान नागचंद्रेश्वर का पूजन किया। इसके बाद दर्शन का सिलसिला शुरू हुअा, जो सोमवार रात 12 बजे तक चला। उदयपुरा से आईं जयमाला जोशी ने बताया कि सुबह छह बजे कतार में लगे थे, लेकिन डेढ़ बजे तक दर्शन नहीं हो पाए।

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