मकर संक्रांति पर तिल के पकवान और खिचड़ी खाने की है पराम्परा
मकर संक्रांति के दिन पारंपरिक खिचड़ी और तिल के उपयोग से पकवान बनाने की भी मान्यता है। देश के हर कोने में अलग अलग तरीके से खिचड़ी और तिल के व्यंजन पकाए जाते हैं। इन्हें मकर संक्रांति के दिन बनाया जाता है और भगवान को भोग लगाने के बाद अगले दिन सूर्योदय के पश्चात ही ग्रहण किया जाता है।
मकर संक्राति के दिन तिल और खिचड़ी के सेवन के पीछे पौराणिक कथाओं के अलावा वैज्ञानिक आधार पर है। जिसके बारे में सुन आप भी इस दिन तिल और खिचड़ी का सेवन जरुर करेंगे।
तिल और गुड़ से जुड़े वैज्ञानिक तर्क
मकर संक्रांति के पर्व पर तिल व गुड़ का ही सेवन क्यों किया करते है इसके पीछे भी वैज्ञानिक आधार है, दरअसल सर्दी के मौसम में जब शरीर को गर्मी की आवश्यकता होती है तब तिल व गुड़ के व्यंजन यह काम बखूबी करते हैं, क्योंकि तिल में तेल की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। जिसका सेवन करने से शरीर में पर्याप्त मात्रा में तेल पहुंचता है और जो हमारे शरीर को गर्माहट देता है। इसी प्रकार गुड़ की तासीर भी गर्म होती है। तिल व गुड़ के व्यंजन सर्दी के मौसम में हमारे शरीर में आवश्यक गर्मी पहुंचाते हैं। यही कारण है कि मकर संक्रांति के अवसर पर तिल व गुड़ के व्यंजन प्रमुखता से बनाए और खाए जाते हैं।
तिल खाने के फायदे
तिल हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मददगार है। कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि तिल में पाया जाने वाला तेल हाई ब्लड प्रेशर को कम करता है और दिल पर ज्यादा भार नहीं पड़ने देता यानी दिल की बीमारी दूर करने में भी सहायक है तिल।
खनिज तत्वों से होता है भरपूर
तिल और गुड़ गर्म होते हैं, ये खाने से शरीर गर्म रहता है। इसलिए इस त्योहार में ये चीजें खाई और बनाई जाती हैं। तिल में कॉपर, मैग्नीशियम, ट्राइयोफान, आयरन, मैग्नीज, कैल्शियम, फास्फोरस, जिंक, विटामिन बी 1 और रेशे प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। एक चौथाई कप या 36 ग्राम तिल के बीज से 206 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। तिल में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाए जाते, जो शरीर को बैक्टीरिया मुक्त रखता है।