बेटे को हुआ कोरोना तो घर सील कर परिजनों को बंद कर दिया गौशाला में
दरभंगा
कोरोना मरीज के पिता का कहना है कि 20 मई को उसके पुत्र की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने के बाद 21 मई को प्रखंड प्रशासन ने इनके पूरे परिवार के लोगों को इनके अपने ही घर से निकालकर गाय घर में ढड्डी लगाकर बंद कर दिया है और कड़ी निगरानी के लिए चौकीदार की तैनाती कर दी है। घर में दो दिनों तक राशन-पानी बचा था तो किसी तरह बाल-बच्चों के साथ भोजन किया। अब राशन खत्म होने के बाद चार शाम से भूखे-प्यासे टकटकी लगाए हैं। इतना ही नहीं, मेरे गाय घर में पीने के पानी की भी सुविधा नहीं है। पानी के लिए परिवार के लोगों का हलक सूख जाता है। जब गांव वालों को दया आती है तो बाल्टी में पानी भरकर गाय घर के आगे रखकर चले जाते हैं। उसी पानी को इनके तीन बच्चे और तीन वयस्क दिनभर पीते हैं। तीन दिन पहले मुखिया राजीव रंजन झा ने तरस खाकर चूरा, गुड़ और चावल-दाल देकर गए थे।
सितम यहीं नहीं खत्म होता। इनके बाहर निकलने पर भी कड़ा पहरा है। अपनी सारी व्यथा कहते-कहते युवक का पिता फफक-फफक कर रो पड़ता है। उनकी पत्नी कहती हैं- हुजूर, कोरोना मेरे बेटे को हुआ तो इसमें हमारे परिवार का क्या दोष है। अपने अबोध पोता- पोतियों के सूखे मुंह को निहारते हुए मां कहती है, बीडीओ-सीओ को कई बार फोन कर भोजन-पानी की मांग की, पर कोई झांकने भी नहीं आया। इस बाबत सीओ मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि क्वारंटाइन सेंटर पर भोजन देने की जिम्मेदारी मेरी है। बीडीओ साहब ने इनके घर को सील किया है। वहीं, बीडीओ रत्नेश्वर कुमार बताते हैं कि भोजन का जिम्मा सीओ साहब का है।
प्रशासन की गलती का भुगत रहे खामियाजा :
मालूम हो कि इस परिवार के बेटे को बाहर से आने पर क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया था। वहां से सैंपल कलेक्ट कर उसे जांच के लिए डीएमसीएच भेजा गया था। डीएमसीएच से रिपोर्ट आने से पहले ही युवक को घर भेज दिया गया। जब युवक की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी तो आनन-फानन में अधिकारियों ने उसे घर से पकड़कर डीएमसीएच भेजा। अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा अब इस परिवार को भुगतना पड़ रहा है। इस संबंध में डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम ने कहा कि ऐसी संभावना कम लग रही है कि किसी अधिकारी ने इनके साथ ऐसा किया होगा। अगर ऐसा हुआ होगा तो संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई होगी।