प्रत्यर्पण के आदेश के खिलाफ जनवरी के अंत तक अपील कर सकेगा विजय माल्या
लंदन
भगोड़े शराब करोबारी विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण के लिए लंदन की कोर्ट ने अपनी सहमति दे दी है। इस आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए माल्या को जनवरी के अंत तक का इंतजार करना होगा। 10 दिसंबर को ही वेस्टमिन्सटर कोर्ट ने इंग्लैंड के गृह मंत्रालय को माल्या के प्रत्यर्पण पर विचार करने का आदेश दिया था। अब माल्या के प्रत्यर्पण का ऑफिशल ऑर्डर देना होम सेक्रटरी साजिद वाजिद के हाथ में है।
साजिद के पास कोई भी फैसला लेने के लिए पूरे 60 दिन हैं। अगर उन्हें भारत सरकार से अतिरिक्त जानकारी की जरूरत हो तो वह और भी वक्त मांग सकते हैं। कोई भी फैसला लेने से पहले, साजिद को बचाव पक्ष को अपनी बात कहने के लिए 28 दिन का वक्त भी लिखित में देना होगा। गृह मंत्रालय द्वारा अपना फैसला लिए जाने के बाद इस पर 14 दिन में कोर्ट में अपील की जा सकती है। अब ऐसी किसी भी अपील को हाई कोर्ट में सुना जाएगा। इससे पहले, इस हफ्ते माल्या के वकील आनंद दुबे ने कहा था कि उनके क्लाइंट कोर्ट के हालिया फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। उन्होंने कहा, 'माल्या अब कोर्ट के निर्णय पर विचार कर सकते हैं और इस फैसले के खिलाफ सही समय पर अपील करने के लिए ऐप्लिकेशन दे सकते हैं।' हालांकि ऐसा भी कहा जा रहा है माल्या के प्रत्यर्पण पर कोई भी फैसला लेने से पहले साजिद वाजिद को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि जिस आधार पर माल्या के प्रत्यर्पण की इजाजत मिली है, उनके अलावा भी माल्या को भारत में अन्य मामलों में मुकदमों का सामना करना पड़ सकता है।
अब भारतीय जांच एजेंसियों सीबीआई और ईडी को अपना पेपर वर्क पूरा करना होगा। हालांकि भले ही उन्होंने माल्या के प्रत्यर्पण की लड़ाई जीत ली हो लेकिन फैसला सुनाते हुए ब्रिटिश जज ने भारतीय एजेंसियों को खासी डांट भी पिलाई थी। जज का कहना था कि भारतीय एजेंसियां अपने सबूत एकत्रित और पेश करने के मामले में बहुत लापरवाह रही हैं। जज ने भारत सरकार द्वारा पेश किए गए सबूतों की आलोचना भी की थी।
जज ने अपना कहा था कि भारतीय एजेंसियों द्वारा बार-बार एक जैसे सबूत पेश किए जा रही हैं। साथ ही, कोर्ट में पेश किए गए कई गवाह एक जैसी इन्फर्मेशन दे रहे हैं। उन्होंने जांच एजेंसियों की आलोचना करते हुए कहा था, 'इसमें कोई शक नहीं है कि इस मामले में कागजातों की स्थिति ने इस कोर्ट का काम और ज्यादा बढ़ा दिया है।'