देश के संसाधनों पर सबका हक, विविधता हमारी ताकत: राष्ट्रपति
नई दिल्ली
70वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि देश के संसाधनों पर हम सभी का बराबर का हक है, चाहे हम किसी भी समूह के हों, किसी भी समुदाय के हों, या किसी भी क्षेत्र के हों। उन्होंने कहा कि भारत की बहुलता हमारी सबसे बड़ी ताकत है। हमारी डाइवर्सिटी, डेमोक्रैसी और डिवेलपमेंट, पूरी दुनिया के सामने एक मिसाल है।
उन्होंने कहा कि सभी वर्गों और सभी समुदायों को समुचित स्थान देने वाले राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ते हुए हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जिसमें हर बेटी-बेटे की विशेषता, क्षमता और प्रतिभा की पहचान हो और उसके विकास के लिए हर तरह की सुविधाएं और प्रोत्साहन उपलब्ध हों। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे महान गणतंत्र ने लंबी यात्रा तय की है लेकिन अभी हमें बहुत आगे जाना है। खासकर, हमारे जो भाई-बहन विकास की दौड़ में पीछे रह गए हैं, उन सबको साथ लेकर हमें आगे बढ़ना है।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि यह दिवस लोकतंत्र पर आधारित हमारे गणराज्य के उच्च आदर्शों को याद करने का अवसर है। उन्होंने कहा कि इसी माह संविधान-संशोधन के द्वारा गरीब परिवारों के प्रतिभाशाली बच्चों को शिक्षा एवं रोजगार के विशेष अवसर उपलब्ध कराए गए हैं। सामाजिक न्याय और आर्थिक नैतिकता के मानदंडों पर जोर देकर समावेशी विकास के कार्य को और भी व्यापक आधार दिया गया है।
उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस देश के सभी नागरिकों के लिए स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के आदर्शों के प्रति अपनी आस्था को दोहराने का अवसर है और इन सबसे बढ़कर, हमारा गणतंत्र दिवस, हम सबके भारतीय होने के गौरव को महसूस करने का भी अवसर है। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि हमारे गणतंत्र के लिए यह वर्ष विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। 2 अक्टूबर को हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाएंगे।
उन्होंने कहा कि बापू की 150वीं जयंती, केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए, उनके आदर्शों को गहराई से समझने, अपनाने और अमल में लाने का अवसर है। राष्ट्रपति ने कहा कि गांधीजी ने भारत ही नहीं बल्कि एशिया, अफ्रीका तथा दुनिया के कई अन्य देशों में साम्राज्यवाद को खत्म करने के लिए, लोगों में आत्म-विश्वास एवं प्रेरणा का संचार किया और उन्हें आजादी की राह दिखाई। बापू आज भी हमारे गणतंत्र के लिए नैतिकता के प्रकाश-पुंज हैं।
उन्होंने कहा कि 26 नवंबर को हम सब अपने ‘संविधान दिवस’ की 70वीं वर्षगांठ मनाएंगे। हमारा संविधान, हमारे गणराज्य की आधारशिला है। यह एक दूरदर्शी और जीवंत दस्तावेज है। हमारा देश इस समय एक महत्वपूर्ण मुकाम पर है। हमारे आज के निर्णय और कार्यकलाप, 21वीं सदी के भारत का स्वरूप निर्धारित करेंगे।
मतदान के लिए किया प्रेरित
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि हम सभी भारतवासियों को इस वर्ष एक और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने का अवसर मिलने जा रहा है। 17वीं लोकसभा के निर्वाचन के लिए होने वाले आम चुनाव में हम सबको अपने मताधिकार का प्रयोग करना है। इस चुनाव के दौरान हम सब अपने मताधिकार का प्रयोग, अपनी लोकतांत्रिक मान्यताओं और मूल्यों के प्रति पूरी निष्ठा के साथ करेंगे। यह चुनाव, इस मायने में विशेष होगा कि 21वीं सदी में जन्म लेने वाले मतदाता पहली बार मतदान करेंगे और नई लोकसभा के गठन में अपना योगदान देंगे। यह चुनाव, सभी देशवासियों के लिए लोकतंत्र में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। उन्होंने कहा, 'हमारे लोकतंत्र की सफलता के लिए मतदान करना हमारा एक पुनीत कर्तव्य बन जाता है। मेरा आप सभी से अनुरोध है कि इस कर्तव्य का अवश्य पालन करें।'
देश के कोने-कोने में मोबाइल फोन तथा इंटरनेट की सुविधा होने से डिजिटल कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी बदलाव आया है। बंदरगाहों, अंतर्देशीय जलमार्गों, बेहतर रेल सेवाओं, आधुनिक मेट्रो सुविधाओं, राष्ट्रीय राजमार्गों, गांव की सड़कों और देश के अंदरूनी इलाकों में किफायती हवाई यात्रा की सुविधाओं से कनेक्टिविटी बेहतर हो रही है। उन्होंने कहा कि आज यह देखकर प्रसन्नता होती है कि नवीनतम टेक्नॉलजी को तेजी से अपनाते हुए हमारे किसान अधिक समर्थ और हमारे जवान अधिक सशक्त हो रहे हैं। आज दुनिया की निगाहें, हमारे युवा उद्यमियों और हमारी अर्थव्यवस्था पर टिकी हुई हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज देश में खाद्यान्न का प्रचुर मात्रा में उत्पादन हो रहा है। रसोई गैस आसानी से मिल रही है। फोन कनेक्शन लेना हो या पासपोर्ट बनवाना हो, बैंक में खाता खुलवाना हो या दस्तावेजों को प्रमाणित करना हो, इन सभी क्षेत्रों में सुधार और बदलाव दिखाई दे रहे हैं।