दुनिया की सबसे बड़ी आत्महत्या, 900 से ज्यादा लोगों ने इसलिए गंवा दी जान
देश की राजधानी दिल्ली के बुराडी में कुछ महीने पहले एक दिल दहला देने वाली घटना हुई थी, जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया। इस घटना में अंधविश्वास में पडक़र एक ही परिवार के 11 लोगों ने एक साथ आत्महत्या कर ली थी। इस घटना को लेकर अब तक रहस्य बना हुआ है।
लेकिन क्या आपको पता है कि अंधविश्वास के कारण अमेरिका के पास स्थित गुयाना के जोंसटाउन में एक साथ 900 से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या कर ली थी। जी हां, आप शायद यकीन ना करें लेकिन ये सच है।
दरअसल, इस भयानक घटना को अब तक की सबसे बड़ी आत्महत्या की घटनाओं में से एक माना जाता है, जिसमें एक साथ 900 से ज्यादा लोगों ने जहर पीकर आत्महत्या कर ली थी और जिसने जहर पीने से इनकार किया, उन्हें जबरन पिला दिया गया था।
मीडिया रिपोट्स के मुताबिक, यह घटना 40 साल पहले की है। 18 नवंबर, 1978 को यह दिल दहला देने वाली घटना घटी थी, जिसके बारे में सुनकर हर कोई हैरत में पड़ गया था। दरअसल, इस घटना के पीछे जिम जोंस नामक एक धर्मगुरु का हाथ था।
वो खुद को भगवान का अवतार बताता था। इस घटना की शुरुआत कुछ ऐसे हुई कि जिम जोंस ने लोगों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने के लिए जरूरतमंद लोगों की मदद के नाम पर साल 1956 में ‘पीपल्स टेंपल’ (लोगों का मंदिर) नाम का एक चर्च बनाया और अपनी धार्मिक बातों और अंधविश्वास के दम पर उसने हजारों लोगों को अपना अनुयायी बना लिया।
चूंकि जिम जोंस कम्युनिष्ट विचारधारा का था और उसके विचार अमेरिकी सरकार से अलग थे। इसलिए वो अपने अनुयायियों के साथ शहर से दूर गुयाना के जंगलों में चला गया और वहीं पर उसने एक छोटा सा गांव भी बसा दिया। लेकिन कुछ दिनों के बाद ही उसकी असलियत लोगों के बीच आने लगी।
दरअसल, जिम जोंस अपने अनुयायियों (चाहे वो महिला हो या पुरुष) से दिनभर काम कराता था और रात में जब वो थक-हारकर सोने के लिए जाते तो वो उन्हें सोने भी नहीं देता था और अपना भाषण शुरू कर देता था। इस दौरान उसके सिपाही घर-घर जाकर देखते थे कि कहीं कोई सो तो नहीं रहा। अगर कोई भी सोता हुआ पाया जाता था वो उन्हें कड़ी सजा देता था। यहां तक कि वो लोगों को गांव से बाहर भी जाने देता था। पुरुष और महिलाएं जब काम करती थीं, तो उनके बच्चों को एक कम्युनिटी हॉल में रखा जाता था।
उसके सिपाही गांव के चारों ओर दिन-रात पहरा देते रहते थे, ताकि कोई वहां से भाग न जाए। जिम जोंस ने अपने अंधविश्वास का जाल इस कदर फैला रखा था कि वो जो कहता, लोग उसे मान लेते। इस बीच अमेरिकी सरकार को वहां हो रही गतिविधियों के बारे में पता चला तो सरकार ने कार्रवाई करने की सोची।
लेकिन इसका पता जिम जोंस को भी चल गया और उसने अपने सभी अनुयायियों को एक जगह इक्कठा होने को कहा। कहा जाता है कि इस दौरान जोंस ने लोगों से कहा, ‘अमेरिकी सरकार हम सबको मारने आ रही है। इससे पहले कि वो हमें गोलियों से छलनी करें, हम सबको पवित्र जल पी लेना चाहिए। ऐसा करने से हम गोलियों के दर्द से बच जाएंगे।’
जिम ने लोगों से कहा कि अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो वो हमें बम से उड़ा देंगे और जो बच जाएंगे उनके साथ जानवरों जैसा सलूक करेंगे। महिलाओं के साथ रेप करेंगे, बच्चों को तरह-तरह की तकलीफें देंगे। इसलिए हमें खुद को उनसे बचाने के लिए पवित्र जल पीना पड़ेगा।
जोंस ने पहले ही एक बड़े से टब में खतरनाक जहर मिलाकर एक सॉफ्ट ड्रिंक बनवा लिया था और लोगों को पीने के लिए दे दिया। इस दौरान जिसने भी जहरीला ड्रिंक पीने से मना किया, उन्हें जबरन पिलाया गया। इस तरह एक अंधविश्वासी के चक्कर में पड़ 900 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी। इनमें 300 से अधिक बच्चे भी शामिल थे।
इस घटना को अब तक के सबसे बड़े नरसंहारों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि लोगों के मरने के बाद जिम जोंस का शव भी एक जगह पाया गया था। उसने खुद को गोली मार ली थी या शायद किसी ने उसके कहने पर उसे गोली मारी थी।