तुलसी गब्बार्ड बोलीं, अमेरिकी हिंदू होने पर गर्व
वॉशिंगटन
राष्ट्रपति चुनाव में अपनी दावेदारी पेश करने जा रहीं डेमोक्रैटिक पार्टी की सांसद तुलसी गबार्ड ने उनपर हिंदू राष्ट्रवादी होने का आरोप लगाने वाले अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया है। तुलसी ने आलोचकों को जवाब देते हुए कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी से मेरी मुलाकात को इसके साक्ष्य के तौर पर दर्शाया गया जबकि मोदी से मिलने वाले गैर हिंदू नेताओं पर कोई सवाल नहीं उठाया गया जो कि दोहरे मानदंड को दिखाता है। उल्लेखनीय है कि 37 साल की तुलसी ने 2020 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने का फैसला किया है और ऐसा करने वाली वह अमेरिकी इतिहास में पहली हिंदू हैं।
तुलसी ने कहा, 'भारत के लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नेता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मेरी मुलाकात को इसके साक्ष्य के तौर पर दर्शाया गया और इसे एक तरह से असामान्य बताया गया जबकि राष्ट्रपति (बराक) ओबामा, मंत्री (हिलेरी) क्लिंटन, राष्ट्रपति (डॉनल्ड ) ट्रंप और कांग्रेस के मेरे कई साथी उनसे मुलाकात कर चुके हैं और उनके साथ काम कर चुके हैं।'
उन्होंने कहा कि गैर-हिंदू नेताओं से कुछ भी न पूछने और अमेरिका के लिए मेरी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाना दोहरे मापदंड को दिखाता है जो सिर्फ धर्मांधता से ही पैदा होता है। अमेरिकी कांग्रेस में चुनी गईं पहली हिंदू महिला तुलसी ने रविवार को 'रिलिजियस न्यूस सर्विसेज' में एक संपादकीय में उनके, समर्थकों एवं दानकर्ताओं के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की व्याख्या हिंदू अमेरिकियों की प्रोफाइलिंग करने एवं उन्हें निशाना बनाए जाने और बिना किसी आधार के उन्हें परेशान किए जाने' के रूप में की है।
इस तीखे लेख में उन्होंने खुद को हिंदू राष्ट्रवादी बताए जाने के आरोपों की ओर इशारा किया। उन्होंने पूछा, 'कल क्या मुस्लिम या यहूदी अमेरिकी कहेंगे। जापानी, लातिन अमेरिका या अफ्रीकी अमेरिकी कहेंगे?' गबार्ड ने कहा, 'मेरे देश के प्रति मेरी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाना वहीं गैर हिंदू नेताओं पर कोई सवाल नहीं करना, दोहरे मापदंड को स्पष्ट करता है जो केवल एक बात में निहित हो सकती है वह है धार्मिक भेदभाव। मैं हिंदू हूं और वे नहीं।'
हवाई से चार बार की डेमोक्रेटिक पार्टी की सांसद ने कहा, 'कांग्रेस में चुनी जाने वाली पहली हिंदू-अमेरिकी होने और अब राष्ट्रपति पद के लिए पहली अमेरिकी-हिंदू दावेदार होने का मुझे गर्व है।' गबार्ड ने कहा कि सुर्खियों में राष्ट्रपति पद के लिए उनकी दावेदारी को भले ही ऐतिहासिक बताया जा रहा है, हो सकता है कि अमेरिकियों को विश्व के तीसरे बड़े धर्म के बारे में विस्तार से जानकारी भी दी हो, लेकिन, 'कुछ ने इसकी बजाए न सिर्फ मुझे लेकर बल्कि मेरे समर्थकों को लेकर भी संदेह, डर एवं धर्मांधता भड़काई है।'