‘टाटा स्टील के कर्ज को घटाना हमारी प्राथमिकता’
मुंबई
टाटा स्टील के ऋण शोधन अक्षमता और दिवालिया संहिता (आईबीसी) के जरिये भूषण स्टील का अधिग्रहण करने के बाद इस्पात की कीमतें नीचे आई हैं। लेकिन टाटा स्टील के कार्यकारी निदेशक और मुख्य वित्त अधिकारी कौशिक चटर्जी ने ईशिता आयान दत्त से कहा कि कंपनी अगले 12 महीनों में अपना कर्ज एक अरब डॉलर घटाएगी और वह अपने लक्ष्य पर केंद्रित है। बातचीत के अंश:
किसी अधिग्रहण की बुनियादी रणनीति और लंबी अवधि का अर्थशास्त्र निकट अवधि की कीमतों से प्रभावित नहीं होता है। किसी भी पूंजीगत निवेश का फैसला करते समय उद्योग के उतार-चढ़ाव को हमेशा ध्यान में रखा जाता है। भूषण को लेकर हमारे आकलन में कोई बदलाव नहीं आया है। यह बुनियादी रूप से अच्छी संपत्ति है। हमारी दोनों कंपनियों के परिचालन को एकीकृत करने की प्रक्रिया जारी है। इस समय इस्पात की कीमतों में दिख रही गिरावट की वजह बुनियादी मांग में कमी नहीं है बल्कि मांग अपने उच्च स्तर से सामान्य स्तर पर आई है, जिसकी मुख्य वजह चीन में मंदी है।
वर्तमान स्थिति की तुलना वर्ष 2008 के बाद के वैश्विक वित्तीय संकट से नहीं की जा सकती। भारत की विकास की यात्रा जारी रहने के आसार हैं। हमारी वृद्धि की योजना बाजार की वृद्धि से जुड़ी है। कलिंगनगर में हमारा अधिग्र्रहण भी प्रीमियम बाजार पर केंद्रित है।
इस्पात उद्योग में उतार-चढ़ाव सीजन सहित बहुत से कारकों पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए सर्दियों में संयंत्रों के बंद होने और चीनी नव वर्ष से पहले चीन में उत्पादन बढ़ा है। इससे वहां जरूरत से अधिक उपलब्धता की स्थिति पैदा हुई है, जिससे चीन में इस्पात के फ्लैट उत्पादों की घरेलू कीमतों में नरमी आई है। हाल में नियामकीय और शुल्क के स्तर पर घटनाक्रमों का बहुत से देशों में घरेलू इस्पात कीमतों पर असर पड़ा है। अमेरिका में इस्पात की कीमतें निश्चित रूप से शेष विश्व से ऊंची हैं क्योंकि उसने आयातित इस्पात पर शुल्क लगाया है और अमेरिका इस्पात का शुद्ध आयातक है। इसी तरह इस्पात की घेरलू कीमतों के लिए मुद्रा का उतार-चढ़ाव भी एक अहम कारक है।
कर्ज को कम करना हर उद्यम की प्राथमिकता होती है। टाटा स्टील भी इसी मुहिम लगी हुई है। पिछले 7 वर्षों के दौरान हमने विनिवेश से 19,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं। हमने कहा है कि हम अगले 12 महीनों में अपना कर्ज एक अरब डॉलर घटाएंगे और हम इस लक्ष्य पर केंद्रित हैं।