जीका वायरस जांच के लिए फिर से भेजेंगे नमूने
भोपाल
प्रदेश में जीका वायरस की प्रजाति (स्ट्रेन) का पता लगाने भेजे गए नमूनों में जरूरत के मुताबिक खून की मात्रा नहीं होने की वजह से जांच नहीं हो पाई है। अब जांच कराने के लिए फिर से नमूने भेजने होंगे। सूत्रों की माने तो करीब दो महीने पहले स्ट्रेन पता करने के लिए एम्स भोपाल की ओर से भेजे गए नमूने जांच के लायक नहीं मिले हैं।
18 नवंबर को एम्स ने जांच के लिए नमूने नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी (एनआईवी) पुणे भेजे थे। रिपोर्ट आने पर साफ हो जाएगा कि मध्यप्रदेश में जिस वायरस ने अभी तक 149 लोगों को संक्रमित किया है वह राजस्थान से आया है या नहीं।
मप्र में जीका बुखार का पहला मरीज राजधानी भोपाल के चार इमली क्षेत्र में 30 अक्टूबर को मिला था। यानी दो महीने से भी ज्यादा हो चुके हैं, पर स्वास्थ्य विभाग और एम्स के अफसरों को यह नहीं पता कि जीका वायरस की कौन सी प्रजाति से मप्र में संक्रमण फैला था। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग के अफसर बिना जांच ही इस बात से आश्वस्त हैं कि प्रदेश में राजस्थान से ही जीका वायरस आया होगा। बता दें कि राजस्थान के जयपुर में मिले जीका वायरस की स्ट्रेन की जांच एनआईवी में कराई गई थी। जांच में वायरस से गर्भस्थ शिशु में माइक्रोसिफैली (सिर छोटा होना व अन्य जन्मजात विकृति) होने की पुष्टि नहीं हुई थी। मप्र में सात जिलों में जीका वायरस के 149 केस मिले थे। इनमें 40 गर्भवती महिलाएं हैं। जयपुर वाला वायरस स्ट्रेन मप्र में भी मिला तो गर्भवती महिलाओं को राहत मिलेगी।
जीका वायरस से गर्भावस्था की पहली तिमाही में गर्भस्थ शिशु को खतरा रहता है। शिशु का सिर छोटा हो सकता है या फिर उसे अन्य जन्मजात विकृति हो सकती है। प्रदेश में 40 गर्भवती महिलाएं जीका से प्रभावित मिली थीं। इनमें 21 पहली तिमाही वाली थीं। इन 21 में 15 विदिशा, 2 भोपाल, 2 सीहोर, एक सागर व एक अन्य जिले की थी। स्वास्थ्य संचालनालय के अधिकारियों ने बताया कि पहली तिमाही वाली गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी लगातार कराई जा रही है। अभी तक गर्भस्थ शिशु में कोई विकृति नहीं मिली है। महिलाओं को और न ही उनके घर में किसी को यह पता है कि उन्हें जीका बुखार हुआ था। भीम नगर की रहने वाली दीपिका को सात महीने का गर्भ है।
उन्हें यह पता नहीं की जीका बुखार से पीड़ित हुई थीं। उन्होंने खुद अपनी सोनोग्राफी जेपी अस्पताल में कराई। इसी तरह से दामखेड़ा की रहने वाली बबली रजक को भी पता नहीं है कि उन्हें जीका बुखार हुआ था। उन्होंने अपने पैसे से रेडक्रास अस्पताल में सानोग्राफी कराई। उन्हें छह महीने की प्रेगनेंसी है। इस संबंध में संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. अजय बरोनिया का कहना है कि प्रारंभिक जांच में वायरस का स्ट्रेन जयपुर जैसा ही लग रहा है। स्ट्रेन पता करने के लिए नमूने एनआईवी पुणे भेजे हैं। अभी तक रिपोर्ट के बारे में कोई जानकारी नहीं है।