चारों धाम को जोड़ने वाली सड़क परियोजना को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी

देहरादून 
उत्तराखंड में चारों धाम को जोड़ने वाली केंद्र सरकार की ऑलवेदर सड़क परियोजना को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस योजना के तहत रोकी गई अन्य परियोजनाओं पर काम अगले आदेश तक रुका रहेगा। कोर्ट के मुताबिक इसके लिए इन्वाइरनमेंट इंपैक्ट असेसमेंट की मंजूरी लेनी होगी। जस्टिस आरएफ नरीमन और विनीत सरन की पीठ ने केंद्र सरकार से एनजीटी के आदेश पर रोक लगाने के लिए अपना हलफनामा दाखिल करने को कहा है।  

बता दें कि चार धाम परियोजना का उद्देश्य सभी मौसम में पहाड़ी राज्य के चार पवित्र स्थलों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ना है। इस परियोजना के पूरा हो जाने के बाद हर मौसम में चार धाम की यात्रा की जा सकेगी। अपनी पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस परियोजना पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने देहरादून के एनजीओ ग्रीन दून की विशेष अनुमति याचिका पर रोक का आदेश जारी करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर मांगा जवाब था। 

बीते 26 नवंबर को कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि उसे एनजीटी के आदेशों पर रोक क्यों नहीं लगानी चाहिए? एनजीओ ग्रीन दून की ओर परियोजना पर रोक लगाने की याचिका की पैरवी करने वाले वकील संजय पारेख ने कहा कि अगर प्रॉजेक्ट को मंजूरी दी जाती है तो पर्यावरण को 10 पनबिजली परियोजनाओं द्वारा किए गए नुकसान के बराबर क्षति होगी। 

पिछले साल 26 सितंबर को ग्रीन ट्राइब्यूनल ने परियोजना पर निगरानी रखने के लिए एक समिति का गठन किया था। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति यू सी ध्यानी की अध्यक्षता वाली समिति परियोजना के पर्यावरण प्रबंधन योजना (ईएमपी) के क्रियान्वयन की देखरेख करेगी। याचिकाकर्ता एनजीओ ने परियोजना को अवैध बताते हुए कहा था कि इस निर्माण के लिए पर्यावरण की मंजूरी जरूरी है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी हाल ही में परियोजना की राह में आने वाली अटकलों के जल्दी दूर होने की बात कही है। 

गौरतलब है कि इस परियोजना के तहत 900 किलोमीटर लम्बी सड़क परियोजना का निर्माण हो रहा है। अभी तक 400 किमी सड़क का चौड़ीकरण किया जा चुका है। एक अनुमान के मुताबिक अभी तक 25 हजार पेड़ों की कटाई हो चुकी है, जिससे पर्यावरणविद नाराज हैं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *