चंद्रमा के ‘न दिखने वाले हिस्से’ पर चीन ने उतारा चांग’ए-4 यान
चीन ने कहा है कि उसने चंद्रमा के दूसरी ओर के हिस्से में रोबोट अंतरिक्ष यान उतारने में सफलता पाई है, यह ऐसी पहली कोशिश और लैंडिंग है.
चीन के सरकारी मीडिया ने बताया कि राजधानी बीजिंग के समय के अनुसार सुबह 10:26 बजे बिना व्यक्ति का यान चांग'ए-4 दक्षिणी ध्रुव-एटकेन बेसिन पर उतरा.
चीन के सरकारी मीडिया ने कहा है कि इस अंतरिक्ष यान के उतरने को 'अंतरिक्ष की खोज में एक मील के पत्थर' के रूप में देखा जा रहा है.
अब तक चंद्रमा पर पृथ्वी की ओर वाले हिस्से पर ही मिशन होते रहे हैं. ऐसा पहली बार है जब कोई अंतरिक्ष यान चंद्रमा के सुदूर हिस्से पर उतरा है जो अब तक अछूता रहा है.
इस यान ने लैंडिंग के बाद सतह की कुछ पहली तस्वीरें भेजी हैं. हालांकि, यह तस्वीरें सीधे पृथ्वी पर नहीं भेजी गई हैं. पहले इसने एक उपग्रह को यह तस्वीरें भेजीं फिर इसने पृथ्वी पर उन्हें भेजा. हाल के दिनों में चांग'ए-4 ने लैंडिंग की तैयारी में अपनी कक्षा को काफ़ी सीमित कर लिया था.
#BREAKING: China’s Chang’e-4 probe successfully made the first-ever soft landing on the far side of the Moon on the South Pole-Aitken basin Thursday morning, a major milestone in space exploration. #ChangE4 pic.twitter.com/mt2YTWqlxs
— Global Times (@globaltimesnews) January 3, 2019
बीबीसी के चीन संवाददाता जॉन सडवर्थ ने कहा कि यह विज्ञान से अधिक एक दांव था. इस यान की लैंडिंग से पहले बहुत कम ही ख़बरें बाहर आई थीं हालांकि इसके सफलतापूर्वक चंद्रमा पर उतरने के बाद इसकी आधिकारिक घोषणा की गई.
अंतरिक्ष की खोज में चीन ने देर से शुरुआत की है. 2003 में इसने अंतरिक्ष में पहली बार इंसान को भेजने में सफलता पाई थी. सोवियत यूनियन और अमरीका के बाद यह तीसरा देश है.
चीन का यह मिशन बेहद मुश्किल और ख़तरनाक था क्योंकि इसमें अंतरिक्ष यान को चंद्रमा के उस हिस्से में उतारना था जो अब तक छिपा रहा है. इससे पहले चांग'ए-3 अंतरिक्ष यान को 2013 में चंद्रमा पर उतारा गया था. चीन के चंद्रमा पर इस मिशन के ज़रिए उसे चंद्रमा की चट्टान और धूल धरती पर लाने में मदद मिलेगी.
पृथ्वी से चंद्रमा की ओर के न दिखाई देने वाले हिस्से को 'डार्क साइड' (नहीं दिखने वाला हिस्सा) कहा जाता हैं. यहां डार्क का अर्थ अंधेरा या रोशनी की कमी से नहीं बल्कि न दिखाई देने से है.
चांग'ए-4 अंतरिक्ष यान का मक़सद वोन कार्मन गड्ढे की छानबीन करना है. यह विशाल गड्ढा दक्षिणी ध्रुव-एटकेन घाटी में स्थित है. ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा के इतिहास की शुरुआत में एक बड़े प्रभाव के बाद यह बनी थी.
यूसीएल मुलार्ड स्पेस साइंस लेबोरेट्री में भौतिक विज्ञान के प्रोफ़ेसर एंड्रयू कोट्स कहते हैं, "इसका विशाल आकार है जिसका व्यास 2,500 किलोमीटर और गहराई 13 किलोमीटर है. यह सौरमंडल का सबसे बड़ा गड्ढा और चंद्रमा पर सबसे पुरानी और गहरी घाटी है."