इंतजार खत्म, अब 6 जनवरी को होगा नेता प्रतिपक्ष के नाम का ऐलान

भोपाल
मध्यप्रदेश में भाजपा की तरफ से नेता प्रतिपक्ष कौन होगा अब इसका फैसला केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और मप्र प्रभारी डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे करेंगें। गुरुवार को हुई दिल्ली में हुई संसदीय बोर्ड की बैठक में यह जिम्मेदारी इन दो नेताओं को सौंपी गई है। खबर है कि 6  जनवरी को भोपाल में होने वाली विधायक दल की बैठक में फायनल हो जाएगा कि कांग्रेस के राज में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका कौन निभाएगा।चूंकि शिवराज सिंह ने केंद्रीय राजनीति में जाने से इनकार कर दिया है, इसलिए उन्हें नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है।

दरअसल, गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली पहुंचे थे और उन्होंने प्रदेश समेत कई राष्ट्रीय नेताओं राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत, नरेंद्र सिंह तोमर और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल से मुलाकात की है। वही शाम को दिल्ली में संसदीय बोर्ड की बैठक आयोजित की गई थी। जिसमें मध्यप्रदेश का नेता प्रतिपक्ष चुनने की जिम्मेदारी गृहमंत्री राजनाथ सिंह और मप्र प्रभारी डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे को सौंपी गई। पार्टी सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में संसदीय बोर्ड की बैठक में नेता प्रतिपक्ष के चयन पर चर्चा हो चुकी है।बताया जा रहा है कि राजनाथ और सहस्त्रबुद्धे प्रदेश के सियासी समीकरणों के मद्देनजर विधायकों से इस बारे में आखिरी दौर की चर्चा कर सकते हैं। 

माना जा रहा है कि 6  जनवरी को भोपाल में होने वाली विधायक दल की बैठक में इसका ऐलान हो जाएगा। 6  जनवरी को भोपाल में भाजपा -कांग्रेस ने विधायक दल की बैठक बुलाई है। कांग्रेस की बैठक में जहां वचन पत्रों को पूरा करने ,लोकसभा चुनाव की तैयारियों ,भितरघातियों पर कार्रवाई और 7  जनवरी को शुरु होने वाले पहले विधानसभा सत्र के बारे मे चर्चा की जाएगी। वही भाजपा विधायक दल की बैठक में नेता प्रतिपक्ष के चयन के साथ ही सत्र की रणनीति तय की जाएगी। सत्र के दौरान विधायकों को किस तरह आक्रामक रवैया रखना है, इन सारी बातों से उन्हें अवगत कराया जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भी इसी बैठक में रणनीति तय होगी। पार्टी नेताओं का मानना है कि हाईकमान के निर्देश के तहत ही स्पीकर के चुनाव का निर्णय लिया जाएगा। उधर, दिल्ली में भाजपा की संसदीय बोर्ड की बैठक भी हुई, जिसमें मप्र के सभी मुद्दों पर भी चर्चा हुई है।

प्रदेश में 15 साल सत्ता में रहने वाली बीजेपी अब विपक्ष में बैठेगी, लेकिन उसके सामने जो बड़ी चुनौती है वह यह कि अपना नेता चुनना यानी नेता प्रतिपक्ष चुनना, हालांकि इस रेस में शिवराज सिंह चौहान का नाम सबसे आगे नजर आ रहा है, वहीं उन्हें अगर लोकसभा चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी जाती है तो उनकी जगह किसी ब्राह्मण वर्ग के नेता को सामने लाया जा सकता है। इसमें गोपाल भार्गव और नरोत्तम के साथ राजेंद्र शुक्ला का नाम है।  इसके अलावा पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह का नाम सहमति के साथ आगे आ सकता है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी चुनावी हार के कारणों की समीक्षा भी नेता प्रतिपक्ष के चयन के साथ कर रही है। खास तौर पर सवर्ण वर्ग के नाराज होने के पीछे के कारण पर भी चर्चा हो रही है।

नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में दूसरा बड़ा नाम नरोत्तम मिश्रा का है|  मिश्रा शिवराज सरकार में संकटमोचक की भूमिका में रहे हैं और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के करीबी माने जाते हैं|  पिछले दिनों पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने नरोत्तम मिश्रा को लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश का सह-प्रभारी बनाकर उन पर एक बार फिर अपना विश्वास जताया है। तीसरा नाम पार्टी के सीनियर विधायक गोपाल भार्गव का है। भार्गव का पिछले दिनों भोपाल में संघ के मुख्यालय समिधा पहुंचकर संघ के बड़े नेताओं से मिलना उनकी दावेदारी को और मजबूत बना रहा है। नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में चौथा नाम पूर्व गृहमंत्री और पार्टी के सीनियर नेता भूपेंद्रसिंह का है। सिंह की सबको साथ लेकर चलने और पार्टी में सर्वमान्यता उनको प्रतिपक्ष की दौड़ में आगे रखती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *