World TB Day: अब टीबी को आसानी से कहें टाटा

 नई दिल्ली
टीबी के नाम से खौफ-सा लगता है, लेकिन सही इलाज से यह पूरी तरह ठीक हो सकती है। एक्सपर्ट्स से बात करके टीबी की जांच और इलाज में इस्तेमाल की जा रही नई तकनीक की जानकारी दे रही हैं प्रियंका सिंह 

क्या है टीबी 
टीबी यानी ट्यूबरक्‍युलोसिस बैक्टीरिया से होनेवाली बीमारी है। सबसे कॉमन फेफड़ों का टीबी है और यह हवा के जरिए एक से दूसरे इंसान में फैलती है। मरीज के खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वालीं बारीक बूंदें इन्हें फैलाती हैं। ऐसे में मरीज के बहुत पास बैठकर बात की जाए तो भी इन्फेक्शन हो सकता है। फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गले आदि में भी टीबी हो सकती है। फेफड़ों के अलावा दूसरी कोई टीबी एक से दूसरे में नहीं फैलती। टीबी खतरनाक इसलिए है क्योंकि यह शरीर के जिस हिस्से में होती है, सही इलाज न हो तो उसे बेकार कर देती है। फेफड़ों की टीबी फेफड़ों को धीरे-धीरे बेकार कर देती है तो यूटरस की टीबी बांझपन की वजह बनती है, ब्रेन की टीबी में मरीज को दौरे पड़ते हैं तो हड्डी की टीबी हड्डी को गला सकती है। 

कैसे पहचानें 
3 हफ्ते से ज्यादा लगातार खांसी हो
खांसी के साथ बलगम आता हो
बलगम में कभी-कभार खून आ रहा हो
भूख कम लगती हो
वजन कम हो रहा हो
शाम या रात के वक्त बुखार आ रहा हो और सांस उखड़ती हो
सांस लेते हुए सीने में दर्द हो
  
टीबी से जुड़े ये 5 भ्रम आज ही दूर करें
क्षय रोग या टीबी से जुड़े कई भ्रम आज भी हमारी सोसायटी में फैले हैं। क्लिक करके जानिए ऐसे ही 5 मिथ्स के बारे में…

टीबी से जुड़े ये 5 भ्रम आज ही दूर करें
मिथक 1: वंशानुगत बीमारी है क्षय रोग।

तथ्य: जेनेटिक्स का इस बीमारी के फैलने या इससे ग्रस्त होने में कोई रोल नहीं है।

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मिथक 2: टीबी एक संक्रामक बीमारी है, औऱ जो भी व्यक्ति बीमार के संपर्क में आता है, उसे यह बीमारी हो सकती है।

तथ्य: केवल पल्मनरी या लंग ट्यूबरकुलॉसिस संक्रामक होती है, और स्ट्रॉन्ग इम्यून सिस्टम वाले लोगों पर ऐसे संक्रमण का भी प्रभाव नहीं होता।

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मिथक 3: यह बीमारी केवल धूम्रपान की वजह से होती है और यह केवल फेफड़ों को प्रभावित करती है।

तथ्य: टीबी होने के कई कारण हो सकते हैं और इसका असर ब्रेन, स्पाइनल कॉर्ड, आंतें, आंखें और दिल पर भी पड़ता है।

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मिथक 4: यह बीमारी केवल गरीब तबके के लोगों को होती है।

तथ्य: इस बीमारी का अमीरी-गरीबी से कोई लेना-देना नहीं है, न ही यह रहन-सहन के तरीके से सम्बन्धित है।

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मिथक 5: यह जानलेवा बीमारी है।

तथ्य: अगर पेशंट पूरी तरह से इलाज की प्रक्रिया फॉलो करता है, तो यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है।

नोट: कुछ मरीजों में इनमें से कोई एक लक्षण दिखता है तो कुछ में कई, तो कुछ में एक भी नहीं। ये लक्षण दूसरी छोटी-मोटी बीमारियों के भी हो सकते हैं। ब्रॉन्काइटिस और चेस्ट कैंसर के भी कई लक्षण टीबी से मिलते हैं, लेकिन मुख्य फर्क यह है कि कैंसर में मुंह से खून आ सकता है, जबकि ब्रॉन्काइटिस में सांस लेने में दिक्कत होती है और सीटी जैसी आवाज आती है। टीबी में सांस लेने में दिक्कत नहीं होती और मरीज को बुखार आता है। 

मरीज क्या करे 
तीन हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूरा कोर्स लें, वह भी नियमित तौर पर। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करे। आमतौर पर बीमारी खत्म होने के लक्षण दिखने पर मरीज को लगता है कि वह ठीक हो गया है और इलाज रोक देता है। ऐसा बिलकुल न करें। इससे दवा के प्रति रेजिस्टेंट पैदा हो सकता है और बीमारी तो बढ़ ही सकती है, दूसरों में भी टीबी फैलने का खतरा बढ़ जाता है। 

मास्क पहनकर रखें। मास्क नहीं है तो हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर कर लें। इस नैपकिन को ढक्कनवाले डस्टबिन में डालें। बाद में इन नैपकिन को आग लगा दें। 

यहां-वहां थूकें नहीं। मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूके और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। प्लास्टिक में आग लगाने से बचें। 

अगर टीबी है तो मरीज दूसरे लोगों से कम-से-कम एक मीटर की दूरी बनाकर रखे। ऑफिस, स्कूल, मॉल जैसी भीड़ भरी जगहों पर जाने से परहेज करे। पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी इस्तेमाल करने से बचें। 

मरीज हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में रहे। 

मरीज एसी से परहेज करे क्योंकि तब बैक्टीरिया अंदर ही घूमते रहेंगे और दूसरों को बीमार करेंगे। 

मरीज खूब पौष्टिक खाना खाए, एक्सरसाइज व योग करे और सामान्य जिंदगी जिए। 

मरीज बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करे। 

हो सकती है सजा भी 
अगर किसी की लापरवाही से टीबी फैलती है या मरीज ठीक से इलाज नहीं कराता तो उसे आईपीसी की धारा 269 और 270 के तहत 6 महीने तक की सजा हो सकती है। XDR टीबी फैलाने पर तो 1 साल तक की सजा हो सकती है। 
 

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