NCDC रिपोर्ट : देश में स्वाइन फ्लू से होने वाली मौत में MP सबसे आगे

भोपाल
देश में स्वाईन फ्लू के कारण पूरे देश में सबसे ज्यादा मौतें मध्यप्रदेश में हुर्इं हैं,यह खुलासा नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (एनसीडीसी) दिल्ली से जारी रिपोर्ट में हुआ है। इसके मुताबिक 11 नवंबर 2018 तक पूरे देश में स्वाइन फ्लू पॉजिटिव 10853 केस दर्ज हुए हैं। इनमें से 817 मरीजों की मौत हो चुकी है। मेघालय में एक केस दर्ज हुआ और एक की मौत हो गई। इस हिसाब से मौत का आंकड़ा 100 फीसदी है। दूसरे स्थान पर मध्यप्रदेश है। चूंकि मेघालय में एक ही केस हुआ, इस लिहाज से मध्यप्रदेश की स्थिति ज्यादा गंभीर मानी जा रही है। झारखंड में मिले पॉजिटिव मरीजों में से 33 प्रतिशत, पंजाब में 30 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ व हिमाचल प्रदेश में मिले पॉजिटिव मरीजों में से 25 प्रतिशत की मौत हुई है।

मध्यप्रदेश में स्वाइन फ्लू 2011 के बाद सक्रिय हुआ है। 2015 में अब तक के सबसे ज्यादा 2445 केस दर्ज हुए। इसमें पहले साल सबसे ज्यादा मौतें हुईं लेकिन उसके बाद मृत्यु दर 18 फीसदी तक ही रही।

मौत के मामले में मध्यप्रदेश सबसे आगे है। यहां अब तक 64 मरीज मिले जिनमें से 24 की मौत हो चुकी है। यानी 37.5 फीसदी मौतें हो चुकी हैं। यह आंकड़ा देशभर के बीते आठ साल के औसत से 10 गुना से भी ज्यादा है। अधिकारी स्वीकारते हैं कि मप्र में ज्यादातर केस 'सी' कैटेगरी (क्रिटिकल) में पहुंच रहे हैं, जिससे मौतें हो रही हैं। समय पर सैंपल नहीं भेजने और रिपोर्ट में देरी से आंकड़ा बढ़ रहा है।

स्वाइन फ्लू की जांच अभी प्रदेश में भोपाल, जबलपुर व ग्वालियर की लैब में ही हो रही है। इसके अलावा इंदौर में हाईकोर्ट की आदेश के बावजूद दो साल पहले स्वीकृत हुई वायरोलॉजी लैब खोलने का काम एमजीएम कॉलेज में शुरू होने जा रहा है। वहीं अन्य चार जगहों पर बनाई गई लेबोरेटरी को विकसित कर वहां भी स्वाइन फ्लू जांच की सुविधा दी जाएगी।

प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के पास भोपाल व जबलपुर में दो वायरोलॉजी लैब है। यहां सभी 52 जिलों से सैंपल भेजे जाते हैं। इनकी जांच रिपोर्ट आने में छह से सात दिन लगते हैं। जिला अस्पतालों में स्वाइन फ्लू की जांच के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। सिर्फ लक्षण देखकर और गंभीर स्थिति होने पर सैंपल भेजे जाते हैं। जब तक रिपोर्ट आती, कई मरीज स्वाइन फ्लू से लड़ने की शक्ति तक खो देते हैं। इसी कारण प्रदेश में इस साल मरीजों की मौत का आंकड़ा बढ़ा।

इस साल अन्य राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र में सबसे अधिक स्वाइन फ्लू के मरीज मिले हैं लेकिन मौत का आंकड़ा 15 फीसदी है। वहीं तमिलनाडु ने इस बीमारी को रोकने का सबसे बेहतर प्रबंधन किया। यहां .937 फीसदी मौतें हुईं।

मप्र के पड़ोसी राज्यों में इस साल राजस्थान में सबसे अधिक स्वाइन फ्लू मरीज मिले हैं। यहां 2018 में 3619 मरीज मिले। महाराष्ट्र में 2474, गुजरात में 1935, उत्तरप्रदेश में 37, जबकि छत्तीसगढ़ में सबसे कम आठ मरीज मिले हैं।

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