CM नीतीश ने पीएम मोदी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में रखी बात, कहा- विदेश से आए हर व्यक्ति की जांच कराई जा रही है

पटना 
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री के साथ हुए वीडियो कॉन्फ्र्रेंंसग में कहा कि कोरोना संक्रमण खत्म करने के लिए हमलोगों ने कोरोना उन्मूलन कोष का गठन किया है। इसके तहत विधायक-विधान पार्षद एक साल में 3 करोड़ खर्च करने की अनुशंसा करते हैं, उसमें से कम-से-कम 50 लाख की राशि हमलोगों ने कोरोना उन्मूलन कोष में हस्तांतरित करा दिया है।

अब बिहार के राज्यसभा और लोकसभा सांसद एक करोड़ की राशि अपने-अपने क्षेत्र के लिए अनुशंसा कर रहे हैं। इस राशि का उपयोग नहीं हो पाएगा, क्योंकि
कोरोना को लेकर जो कुछ किया जा रहा है, वह किसी क्षेत्र विशेष में नहीं हो रहा है, इसलिए पैसा यूं ही बचा रह जाएगा। गृह मंत्रालय विचार करें कि राज्य के
सांसद यदि मदद करना चाहते हैं तो वे कोरोना उन्मूलन कोष में मदद कर सकें।  

मुख्यमंत्री बोले, हमलोग आपदा प्रबंधन के माध्यम से जो भी प्रभावित हैं, उनकी मदद कर रहे हैं। प्रभावित लोगों को मदद दी जा रही है।बाहर से आने वालों को
अलग ठहराने के साथ-साथ भोजन, चिकित्सा की सुविधा स्कूलों या अन्य राहत केंद्रों पर की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री से भी अक्सर चर्चा होती रही
है। बिहार के प्रमुख चिकित्सक, एक्सपर्ट के साथ हमलोगों ने बैठक की है। जानने की कोशिश की है कि और क्या-क्या करना चाहिए। मेडिकल सॉफ्टवेयर की
सहायता हमलोगों को चाहिए।

राजकोषीय घाटे की सीमा बढ़े
मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया कि एफआरबीएम एक्ट के तहत फिस्कल डेफिसिट (राजकोषीय घाटा) की सीमा को 3 फीसदी से बढ़ाकर चार या उससे अधिक किया
जाए। 2009-10 के वित्तीय संकट में इसे बढ़ाकर चार फीसदी किया गया था। पीएम के नेतृत्व में जिस तरह सब लोगों ने काम किया है, उससे भरोसा है कि जल्द
ही कोरोना से मुक्ति मिलेगी। 

12 हजार 51 लोग विदेश से आए हैं
सीएम ने कहा, दूसरे राज्यों व विदेश से आए लोगों को चिन्हित किया गया है। ऐसे एक लाख 74 हजार 470 लोग हैं। इनमें 12 हजार 51 विदेश से आए हैं। सभी
को होम कोरेंटाइन में रखा गया है। कोरेंटाइन की व्यवस्था गांव स्तर पर भी है। स्कूलों में आशा, आंगनबाड़ी सेविका, एएनएम, मुखिया, पंच, सरपंच को भी लगाया
गया है। मुख्य सचिव के स्तर पर वीडियो कॉन्फ्र्रेंंसग से बराबर उनसे संवाद हो रहा है। जो लोग दूसरे राज्यों में रह गये हैं, उनका ख्याल वहां की राज्य सरकारों
द्वारा रखा जा रहा है। 

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