3 जुलाई से शुरू हो रहे हैं गुप्त नवरात्रि, जानें पूजा की गुप्त विधि

आपको इस बात की जानकारी होगी कि हिंदू वर्ष में कुल चार बार नवरात्रि का त्योहार आता है। इनमें से दो नवरात्रि सामान्य होते हैं और शेष दो को गुप्त नवरात्रि माना जाता है। यूं तो सभी चारों नवरात्रि महत्वपूर्ण हैं और माता को समर्पित हैं लेकिन माना जाता है कि तांत्रिक पूजा और मनोकामना पूरी करने के मामले में गुप्त नवरात्रि ज्यादा प्रभावशाली माने हैं। ऐसी मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में गुप्त रूप से देवी की साधना की जाती है। इस लेख में जानते हैं आषाढ़ माह में पड़ने वाले गुप्त नवरात्रि की तिथि और पूजा की विधि।

गुप्त नवरात्रि की तिथि
3 जुलाई, बुधवार के दिन गुप्त नवरात्र की शुरुआत होगी। इस बार आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि आठ दिनों की है और ऐसा सप्तमी तिथि के क्षय होने के कारण होगा। 3 जुलाई को शुरू होने वाले गुप्त नवरात्र 10 जुलाई को पूर्ण होंगे।

गुप्त नवरात्रि तांत्रिक साधना के लिए महत्वपूर्ण
गुप्त नवरात्रि के दौरान अधिकांश तांत्रिक साधक देवी माता की आराधना करके ज्यादा से ज्यादा लाभ-पुण्य कमाने की कोशिश करते हैं। गुप्त नवरात्रि के दिन तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए बेहद लाभकारी दिन माने गए हैं। इतना ही नहीं, कई साधक इन दिनों में दसों महाविद्याओं की साधना भी करते हैं। ऐसा करके वो ना सिर्फ अपने जीवन की परेशानियों का अंत करते हैं बल्कि इसके जरिए वो दूसरों की भलाई का काम भी कर सकते हैं।

ऐसा विश्वास है कि इन दिनों की गई तांत्रिक साधनाएं सफल और सिद्धिदायक होती हैं। जो साधक इस दौरान सामान्य सी पूजा भी करता है उसे उसका 9 गुना अधिक फल मिलता है।

किस दिन होती है किस मां के स्वरूप की आराधना
गुप्त नवरात्रि में खास साधक ही साधना करते हैं और वो अपनी साधना भी गुप्त रखते हैं ताकि वो माता को जल्दी प्रसन्न कर सकें। दूसरे नवरात्र के भांति ही गुप्त नवरात्रि में पहले दिन शैल पुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्माण्डा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, नौवें दिन सिद्धिदात्री माता की पूजा आराधना की जाती है।

इस विधि से करें गुप्त नवरात्र पूजा
कहा जाता है कि इस व्रत में मां दुर्गा की पूजा देर रात में करनी चाहिए। इसके बाद मूर्ति स्थापना के बाद मां दुर्गा को लाल सिंदूर और लाल चुनार चढ़ाएं। फिर नारियल, केले, सेब, तिल के लडडू, बताशे चढ़ाएं। माता के चरणों पर लाल गुलाब के फूल भी अर्पित करें। अब गुप्त नवरात्रि के दौरान सरसों के तेल से ही दीपक जलाएं और साथ ही 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' का जाप करना चाहिए।

 

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