हीरो के ढ़ांचे से बाहर आना आसान नहीं : विवेक मुशरान

नई दिल्ली
फिल्म सौदागर से बॉलीवुड में करियर की शुरुआत करने वाले अपने दौर के रोमांटिक अभिनेता विवेक मुशरान के अनुसार हीरो के ढांचे से बाहर आना आसान नहीं होता।

साल 1991 से सुभाष घई की फिल्म सौदागर से रोमांटिक हीरो के तौर पर अपनी अलग पहचान बनाने वाले विवेक ने फस्र्ट लव लेटर, प्रेम दीवाने जैसी कई हीट फिल्में दी हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘नहीं, मुझे किसी चीज की याद नहीं आती। ईमानदारी से कहूं तो भास्कर भारती फिल्म करने के बाद मुझे पहली बार अहसास हो रहा है कि मैं भी एक स्वतंत्र अभिनेता हूं।’’

अभिनेता ने आगे कहा, ‘‘मुझे आज की दौैर की फिल्में पसंद है, जिनमें मैंने अभिनय भी किया है। इससे मुझे हीरो के ढांचे से बाहर आने में मदद मिली। मेरे ख्याल से हीरो का किरदार एक सीमा में बंधा होता है। वहीं एक अभिनेता के तौर पर आपके पास हर तरह का काम रहता है। मैं अतीत को लेकर रोने की जगह, जो वर्तमान में हो रहा है उसमें सकारात्मकता देखता हूं। मैं अपने फिलहाल के काम से खुश हूं, लेकिन हीरो के ढ़ांचे से बाहर आना आसान नहीं होता।’’

उन्होंने कहा, ‘‘निर्माताओं को लगा कि ‘तमाशा’ के जरिए मैं अपने पुरानी छवि को तोड़ सकता हूं। तमाशा मेरी पहली ऐसी फिल्म है जिसमें मेरा किरदार एक चाकलेटी हीरो वाला नहीं था।’’

अभिनेता ने कहा, ‘‘ मुझे कई प्रस्ताव मिल रहे हैं, लेकिन मैं चाहता हूं मेरे पास प्रस्ताव की बाढ़ आ जाए। मैं एक लालची अभिनेता हूं। मुझे बहुत काम करना है वो भी विभिन्नता के साथ। मेरा सपना है कि मैं सभी फिल्मों में नजर आऊं।’’

विवेक फिलहाल टेलीविजन सीरियल ‘मैं मायके चली जाउंगी तुम देखते रहियो’ में हैप्पी गो लकी के किरदार में नजर आ रहे हैं।

इसके अलावा वह शिमला में एक वेब सीरीज की शूटिंग भी कर रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *