सूडान में 30 साल बाद सत्ता से बेदखल हुए उमर अल-बशीर, दो साल तक रहेगा सैन्य शासन

काहिरा
अफ्रीकी देश सूडान में राष्ट्रपति उमर अल-बशीर का 30 साल लंबा तानाशाही शासन गुरुवार को समाप्त हो गया। सेना ने उन्हें बेदखल कर सत्ता अपने हाथ में ले ली है। लंबे समय तक चले खूनी संघर्ष के बाद बशीद को सत्ता से बेदखल किया गया है। यही नहीं उन्हें गिरफ्तार भी किया गया है। बशीर के शासन को तानाशाही के लिए जाना जाता रहा है। यही नहीं उनके नेतृत्व में बीते कई सालों से संघर्षों से जूझ रहे सूडान की अर्थव्यवस्था भी बदहाल हो चुकी थी। हालांकि अब भी सूडान में लोकतंत्र समर्थक लोगों के बीच गुस्सा है क्योंकि उमर अल-बशीर को बेदखल करने के बाद देश में दो वर्षों के लिए सैन्य शासन लागू हो गया है।

सूडान के डिफेंस मिनिस्टर ने गुरुवार को इस बात का ऐलान किया कि तानाशाह बशीर को बेदखल किए जाने के बाद देश में अब दो वर्षों तक सशस्त्र बलों का शासन रहेगा। एक सप्ताह पहले उत्तरी अफ्रीकी देश अल्जीरिया में अब्देलअजीज को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद सूडान को तानाशाही शासन से मुक्ति मिली है। अब्देलअजीज लंबे समय से सैन्य बलों के समर्थन से अल्जीरिया पर शासन कर रहे थे।

अफ्रीकी देशों में छिड़े आंदोलनों के बाद हुए सत्ता परिवर्तन की तुलना दुनिया भर में लोग 8 साल पहले हुए अरब स्प्रिंग मूवमेंट से भी कर रहे हैं। उस वक्त कई पश्चिमी देशों में लोग सरकारों के खिलाफ गुस्सा जताने के लिए सड़कों पर उतरे थे और लंबे आंदोलनों के बाद कई देशों में सत्ता परिवर्तन हुआ था। हालांकि 2011 के आंदोलनों की तरह ही सूडान और अल्जीरिया में भी तानाशाही शासकों से मुक्ति के बाद भी हालात बहुत सुधरे नहीं हैं। इसकी वजह यह है कि तानाशाह शासकों के बेदखल होने के बाद सेना हावी हो गई है और लोकतांत्रिक प्रणाली बहाल करने की मांग नेपथ्य में चली गई है।

सूडान में बशीर के शासन से बेदखल होने के बाद अब सेना के काबिज होने से साफ है कि आने वाले वक्त में संघर्ष और बढ़ेगा। आम लोगों की मांग है कि सूडान में लोकतांत्रिक सरकार का गठन किया जाना चाहिए। अल-बशीर ने 1989 में सेना और कट्टर इस्लामी संगठनों के समर्थन से तख्तापलट कर सत्ता संभाली थी।

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