समय पर नहीं मिला फ्लैट, मिलेगा रिफंड और मुआवजा

 
नई दिल्ली

बिल्डर कंपनी से हुए करार के मुताबिक तय समयसीमा में फ्लैट का पजेशन नहीं मिलने के कारण बायर्स को पैसे रिफंड करने का आदेश दिया गया है। नैशनल कंज्‍यूमर फोरम ने कहा कि बायर्स अनिश्चितकाल तक फ्लैट के पजेशन के लिए इंतजार नहीं कर सकते, जबकि डिमांड के हिसाब से उन्होंने पूरा अमाउंट पेमेंट कर दिया है। कंज्‍यूमर फोरम ने कहा कि बायर्स का अधिकार है कि वह रिफंड पाएं और इस एवज में उसे मुआवजा भी दिया जाए।

नोएडा के सेक्टर-78 स्थित एक प्रॉजेक्ट के फ्लैट के पजेशन में देरी का कारण बायर्स ने रिफंड के लिए नैशनल कंज्‍यूमर फोरम का दरवाजा खटखटाया था। अदालत ने डिवेलपर्स से कहा है कि वह बायर्स की रकम रिफंड करे और मुआवजे के तौर पर 12 फीसदी रकम का भुगतान करे। करीब 40 बायर्स ने नैशनल कंज्‍यूमर फोरम में अर्जी दाखिल कर शिकायत की कि उन्होंने नोएडा सेक्टर-78 के एक प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक किए थे। समय पर फ्लैट का पजेशन नहीं मिलने के कारण रिफंड और मुआवजा देने की गुहार लगाई।

नैशनल कंज्‍यूमर फोरम में इस मामले में अलग-अलग अर्जी दाखिल की गई थी। इनमें शिकायती का कहना था कि उन्होंने फ्लैट बुक किया और फ्लैट का पजेशन समय पर नहीं दिया गया और उन्हें रिफंड और मुआवजा चाहिए। उन्हें 31 दिसंबर 2016 तक फ्लैट का पजेशन मिल जाना चाहिए था। कंज्‍यूमर फोरम में पेश मामले में उपभोक्ता अदालत ने एक बायर के केस का जिक्र किया।

'फ्लैट की संख्या 570 से बढ़ाकर 718 की'
बायर का कहना था कि उन्होंने 10 लाख रुपये देकर 31 जुलाई 2013 को फ्लैट बुक किया था। डिमांड के हिसाब से पेमेंट दिया जाने लगा। फ्लैट खरीदार का आरोप है कि बिना कंस्ट्रक्शन के बिल्डर ने डिमांड किया और उन्हें पैसे मिलते रहे। यह प्रॉजेक्ट लग्जरी प्रॉजेक्ट था और उसी हिसाब से सेंक्शन प्लान था लेकिन बाद में बिल्डर ने प्लान रिवाइज कर फ्लैट की संख्या 570 से बढ़ाकर 718 कर दी। बिल्डर के लेआउट चेंज किए जाने के कारण सड़क से समझौता करना पड़ा और कमर्शल दुकानों के कारण सड़क ब्लॉक भी हुआ। इन कारणों से फ्लैट की कीमत भी कम हो गई।

नैशनल कंज्‍यूमर फोरम ने अपने आदेश में कहा है कि डिवेलपर्स को 31 दिसंबर 2016 तक फ्लैट का पजेशन देना था, लेकिन वह विफल रहा है। ऐसे में शिकायती बायर्स लंबे समय तक इंतजार नहीं कर सकते और वे रिफंड के हकदार हैं। उपभोक्ता अदालत ने डिवेलपर्स मेसर्स नेक्सजेन इन्फ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड को निर्देश दिया कि वह शिकायती बायर्स को रकम रिफंड करें और मुआवजा रकम का 12 फीसदी भुगतान करें। ये रकम ब्याज नहीं है ऐसे में इस पर टैक्स न काटे जाएं।
 

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