सपा-बसपा ने किया कांग्रेस का प्लान ‘ए’ फेल, प्रियंका लेकर आईं प्लान ‘बी’
लखनऊ
प्रियंका गांधी वाड्रा की राजनीति में आने की घोषणा के साथ यह बिलकुल साफ़ है कि आम चुनाव में अब कांग्रेस फ्रंटफुट पर खेलने को पूरी तरह से तैयार है. कांग्रेस इसके लिए काफी दिन से होमवर्क भी कर रही थी. अब आने वाले दिनों में एक-एक कर पार्टी अपने पत्ते खोलेगी. एक पत्ता खुल भी गया है. प्रियंका गांधी के साथ यूपी की सियासत को लेकर कांग्रेस ने जो रणनीतियां तैयार की हैं, आने वाले दिनों में इसकी वजह से विरोधियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. दिक्कत बीजेपी को होगी और सपा बसपा का महागठबंधन भी इससे परेशान हो सकता है.
कांग्रेस के रणनीतिकार यह बात जानते थे कि दिल्ली की सत्ता में वापसी के रास्ते, यूपी से ही होकर गुजरेंगे. और 2019 में नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ विपक्ष के सबसे बड़े नेता के तौर पर राहुल गांधी को खड़ा करने के लिए यूपी में हर हाल में पार्टी मजबूत करना जरूरी है. सूत्रों के मुताबिक पार्टी में प्रियंका के आने की घोषणा कांग्रेस की इसी रणनीति यानी "प्लान बी" का ही हिस्सा है.
"प्लान ए" के तहत कांग्रेस ने ये ट्रंप कार्ड बचाकर रखा था. अगर यूपी में कांग्रेस से सपा और बसपा का गठबंधन होता और पार्टी को सम्मानजनक सीटें मिल जातीं तो शायद प्रियंका को पार्टी में नहीं लाया जाता. हालांकि वो पार्टी के लिए वैसे ही प्रचार करती नजर आतीं जैसे पिछले चुनावों में उन्होंने किया. सपा और बसपा के साथ से कांग्रेस संतोषजनक सीटें जीतने में कामयाब भी हो जाती.
लेकिन…आम चुनाव में सपा बसपा के अलग राह पकड़ने की स्थिति में पार्टी के लिए "प्लान बी" पर अमल करने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा. एक बड़ी वजह यह भी कि कांग्रेस के खिलाफ विपक्ष का एक मजबूत मोर्चा शक्ल लेता नजर आ रहा है, जिसके भविष्य में राहुल गांधी के लिए ज्यादा गुंजाइश नजर नहीं आती. पार्टी किसी भी सूरत में ऐसे हालात से नहीं गुजरना चाहेगी. कांग्रेस के दोनों प्लान को लेकर बताने की जरूरत नहीं कि पार्टी पिछले कई महीनों से इन्हें ध्यान में रखकर काम कर रही है.