शक के दायरे में करतारपुर कॉरीडोर का निर्माण, पाक की नीयत पर उठे सवाल

 
इस्लामाबाद

करतारपुर कॉरीडोर के निर्माण संबंधी पाकिस्तान सरकार युद्ध स्तर पर काम कर रही है। भारतीय सीमा से स्पष्ट देखा जा सकता है कि पाकिस्तान इलाके मे बड़ी-बड़ी मशीनें दिन-रात इस कॉरीडोर के निर्माण में जुटी हुई हैं। भारतीय गुप्तचर एजैंसियां इस कॉरीडोर संबंधी पाकिस्तान सरकार द्वारा दिखाई जा रही दिलचस्पी को भारत के विरुद्ध पाकिस्तान की किसी बड़ी गेम की आशंका जता रही हैं। भारत सरकार ने बेशक भारत से पाकिस्तान जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए लगभग नियम तय कर दिए हैं, परंतु भारतीय क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा बनाए जाने वाले मात्र 200 मीटर रास्ते पर अभी काम भी शुरू नहीं हुआ है।
 
पाक की गुप्तचर एजैंसी का गेम प्लान
पाकिस्तान की गुप्तचर एजैंसी ISI लम्बे समय से भारत के राज्य पंजाब में आतंकवाद को पुन: शुरू नहीं करवा सकी। इस गुरुद्वारे में कुछ आतंकवादियों को कमरे अलॉट किए गए हैं, जो वहां से अपनी गतिविधियां चलाएंगे। पाकिस्तान सरकार भारत तथा भारतीयों के लिए इतनी बड़ी राशि खर्च कर रही है, जबकि पाकिस्तान कभी भी भारत तथा भारत के लोगों के लिए पैसा खर्च नहीं कर सकता। अपने स्वार्थ के लिए वह यह गेम प्लान बना कर काम कर रहा है।
 ये हैं भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित नियम
* सर्वप्रथम पासपोर्ट होना जरूरी, परंतु वीजा लेने की जरूरत नहीं होगी।
* पासपोर्ट के आधार पर पंजीकरण जरूरी, जाने की तिथि सरकार निर्धारित करेगी।
* प्रतिदिन कितने श्रद्धालु जाएंगे तथा वापस आएंगे, यह निश्चित होगा।
* एक श्रद्धालु साल में 2 बार ही इस गुरुद्वारे के दर्शन करने के लिए जा सकेगा।
* खालिस्तानी विचारधारा के लोगों के जाने पर सरकार रोक लगा सकती है।
* पाक में शरण लिए खालिस्तानी विचारधारा के लोगों से श्रद्धालु नहीं मिल सकेंगे।
 श्रेय लेने की होड़ में हैं सभी राजनीतिक दल
भारत में एक साधारण विधायक से लेकर प्रधानमंत्री तक इस गुरुद्वारा कॉरीडोर को बनाने का श्रेय लेने में लगे हुए हैं। नवजोत सिंह सिद्धू कैबिनेट मंत्री पंजाब का कहना है कि कॉरीडोर उनकी कोशिशों तथा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की दोस्ती के कारण बन रहा है, जबकि  अकाली दल नेताओं का कहना है कि वे तो देश की आजादी के बाद से ही इस कॉरीडोर की मांग करते आ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तो गुरदासपुर की रैली में यह तक कह दिया कि यह केन्द्र की भाजपा सरकार की कोशिशों का परिणाम है। अभी मामला श्रेय लेने पर ही अटका हुआ है तथा केवल नींव पत्थर रखने के अतिरिक्त  भारतीय इलाके में कोई काम शुरू नहीं हुआ।

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