शक्ति मिल्स गैंगरेप: दोषियों की याचिकाओं पर सुनवाई 20 फरवरी से

 
मुंबई 

बॉम्बे हाई कोर्ट 20 फरवरी से शक्ति मिल्स सामूहिक बलात्कार मामले के तीन दोषियों की याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू करेगा। इन याचिकाओं में उस कानूनी प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है, जिसके तहत दोषियों को 2014 में मौत की सजा सुनाई गई थी। विजय जाधव, कासिम बंगाली और सलीम अंसारी को शक्ति मिल्स परिसर में 22 अगस्त 2013 को शहर की एक फोटो पत्रकार के बलात्कार के मामले में 5 अप्रैल 2014 को दोषी ठहराया गया था। 
 
न्यायमूर्ति बी पी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे की पीठ ने बुधवार को कहा कि याचिकाएं 2014 से लंबित हैं और अदालत ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को और समय देने का अनुरोध ठुकरा दिया। पीठ ने कहा, ‘ये याचिकाएं 2014 से लंबित हैं। इसलिए, आपको (केन्द्र और राज्य) तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिला है।’ 

2014 में सजा के बाद हाई कोर्ट पहुंचे थे दोषी 
अदालत ने कहा कि मौत की सजा की पुष्टि के लिए सुनवाई हाई कोर्ट की एक अन्य पीठ के सामने स्थगित है क्योंकि यह इन याचिकाओं के फैसले पर निर्भर करती है। पीठ ने कहा कि इसलिए अदालत बिना देर किए, तीन रिट याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू करेगी। सत्र अदालत द्वारा 2014 में दोषी ठहराए गए पांच में से तीन आरोपी जाधव, बंगाली और अंसारी ने दोषसिद्धि के तुरंत बाद हाई कोर्ट से गुहार लगाई थी। दोषियों ने उस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी, जिसके तहत उन्हें दोबारा अपराध के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। 

याचिकाकर्ताओं ने अभियोजन को आईपीसी की धारा 376 (ई) लगाने की अनुमति देने के सत्र अदालत के आदेश को चुनौती दी थी। धारा के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार के अपराध के लिए दोषी ठहराया जा चुका है और उसे बाद में फिर से बलात्कार का अपराध करने के लिए दोषी ठहराया जाता है तो अदालत उसे जीवनपर्यंत कैद या मौत की सजा सुना सकती है। चूंकि तीन याचिकाकर्ताओं को एक अन्य महिला के बलात्कार के लिए पहले ही दोषी ठहराया जा चुका था, अत: अभियोजन ने आईपीसी की धारा 376 (ई) लगाई और मौत की सजा की मांग की। चौथे दोषी सिराज खान को उम्रकैद की सजा दी गई थी क्योंकि वह बलात्कार के पिछले मामले में शामिल नहीं था और पांचवां आरोपी नाबालिग था, जिसे सुधार गृह भेजा गया है।
 

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