वीलचेयर पर स्टंट करता है यह दिव्यांग, गायकी में भी बटोरी तारीफ

सागर 
आमतौर पर शारीरिक अक्षमता लोगों को या तो घर बैठने को मजबूर कर देती है या फिर वे खुद ही हारकर बैठ जाते हैं। हालांकि, 28 साल के जगदीश पटेल ने इन सभी धारणाओं को गलत साबित किया है। वीलचेयर पर स्टंट करके और गाना गाकर जगदीश साल भर में छह लाख रुपये की कमाई करते हैं। उनका मानना है कि अगर कोई अपने लक्ष्य के लिए दृढ़ निश्चय कर ले और अपनी पूरी ताकत उस लक्ष्य को प्राप्त करने में लगा दे तो इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। 

मध्य प्रदेश के सागर जिले के गांव गरहाकोटा में एक किसान के घर जन्मे जगदीश को पांच महीने की उम्र में तेज बुखार की शिकायत हुई। उसे पास के अस्पताल ले जाया गया, जहां अस्पताल का स्टाफ उसकी हालत को ठीक से जांच नहीं पाया और जगदीश पोलियो का शिकार हो गया। तीन साल की उम्र में जगदीश ने स्कूल में दाखिला ले लिया लेकिन वहीं कोई मदद ना मिल पाने के चलेत उसे दो बार स्कूल छोड़ना पड़ा। 

छोटे भाई ने साइकल पर ले जाकर पूरी कराई पढ़ाई 
जगदीश का छोटा भाई गोविंद जब पांचवीं कक्षा में आया तो उसने अपने बड़े भाई जगदीश को भी प्रेरित किया कि वह एक बार फिर स्कूल में दाखिला ले ले। उसने जगदीश से वादा किया कि वह अपनी साइकल पर इसे लेकर स्कूल जाएगा। अब यह रोज का रूटीन बन गया था और इस तरह जगदीश एक बार फिर पढाई की तरफ उन्मुख हुआ। 10 साल की उम्र में जगदीश ने वीलचेयर का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था। जगदीश ने पहले ग्रैजुएशन किया और फिर मास्टर्स डिग्री भी हासिल कर ली। 

जगदीश एक स्टंटमैन-सिंगर कैसे बना? 
जगदीश के मन में इस बात को लेकर गहरी निराशा थी कि वह खेती-बाड़ी में अपने घरवालों का हाथ नहीं बंटा पा रहा था। अपने मन की बात उसने अपने दादा को बताई, जिन्होंने उसे सलाह दी कि वह म्यूजिक थेरपी का रास्ता अपनाए। जगदीश को इस बात का एहसास ही नहीं हुआ कि म्यूजिक थेरपी कब उसका जुनून बन गई और कब वह एक साधारण इंसान से एक गायक में बदल गया। 

किशोरावस्था में जगदीश अकसर एक अखाड़े में जाता था, जहां उसके दोस्त इंडियन मार्शल आर्ट सीखा करते थे। उसके दोस्त अपने खेल में मगन रहते और जगदीश अपनी वीलचेयर पर बैठा-बैठा उनकी नकल करने की कोशिश करता। मजाक-मजाक में शुरू हुए इस सिलसिले ने उसे शारीरिक तौर पर फिट बना दिया और इस तरह एक स्टंटमैन-सिंगर के तौर पर उसका सफर यहीं से शुरू हुआ। जगदीश की पहली सार्वजनिक परफॉर्मेंस 2012 में श्रीविजयनगर, राजस्थान में हुई, जहां उसने एक ऑडिशन के दौरान अपनी कला का प्रदर्शन किया। उसके समर्पण और जुनून ने उसे लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय बना दिया और अब गांवों में लगने वाले मेलों-प्रदर्शनियों और उत्सवों में वह लगातार अपनी कला का जादू बिखेरता है। 
 

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