विषम परिस्थितियों में मनरेगा बना श्रमिकों की आजीविका का आधार

रायपुर
कोरोना वायरस संक्रमण के प्रभाव को रोकने के लिए प्रदेश सहित जिले में लॉकडाउन किया गया है, जिसकी सबसे बड़ी मार दिहाड़ी श्रमिकों को पड़ी और रोजगार छिन जाने से उन्हें भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। इसी बीच मनरेगा योजना ऐसे श्रमिकों के लिए वरदान बनकर सामने आई है। राज्य शासन कीे मंशानुसार जिलों में सुरक्षा मानकों के पालन सुनिश्चित करते हुए को राज्य में रोजाना लगभग 25 लाख श्रमिकों को रोजगार मुहैय्या कराया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ राज्य के सुदूर सीमावर्ती जिला सूरजपुर में मनरेगा के अंतर्गत वृहद पैमाने पर गांव में रोजगार मूलक कार्य संचालित किए जा रहे हैं, जिसमें जल संवर्धन, भवन निर्माण, गौ शेड, पुलिया निर्माण, सड़क निर्माण के कार्य मुख्य रूप से निहित हैं। वर्तमान में जिले में संचालित 2680 रोजगारमूलक कार्यो में 81 हजार 639 श्रमिकों को कार्य उपलब्ध कराया गया है। श्रमिक सुबह पांच बजे से कार्यस्थल पहुॅच कर कार्य कर रहे हैं। धूप तेज होने के पहले ही घर लौट आते हैं। जिला प्रशासन द्वारा कार्यस्थल पर हाथ धोने के लिए साबुन और सेनिटाईजर की पर्याप्त व्यवस्था कराई गई है। सभी श्रमिक कार्य के दौरान अनिवार्य रूप से अपना मुंह गमछे अथवा मास्क से ढंककर कार्य कर रहें हैं।

जिले के समस्त छ: विकासखंडों में मनरेगा अंतर्गत जल संरक्षण और आजीविका संवर्धन के कार्य को प्राथमिकता से स्वीकृत कराया जा रहा हैं। सभी विकासखण्डों में निजी डबरी, कुआं, भूमि सुधार, मेड़ बंधान, तालाब निर्माण, पशु शेड निर्माण, गौठान निर्माण, चारागाह निर्माण, शासकीय भूमि पर वृक्षारोपण, व्यक्तिमूलक फलदार वृक्षारोपण, आंगनबाड़ी भवन निर्माण, हितग्राहियों के लिए बकरी शेड, मुर्गी शेड, महिला समूह के माध्यम से नर्सरी में पौध निर्माण, सिंचाई के लिए नाली निर्माण, गांव से जल निकास के लिए नाली निर्माण, बोल्डर डेम, चेक डेम, गेबियन निर्माण तथा महिला समूह के लिए वर्क-शेड निर्माण जैसे काम कराए जा रहे हैं।

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