वर्ल्ड मलेरिया डे: जानें, बीमारी के लक्षण, बचाव और इलाज के तरीके

 
'प्लाज्मोडियम' नाम के पैरासाइट से होने वाली बीमारी है मलेरिया। यह मादा 'ऐनाफिलीज' मच्छर के काटने से होता है जो गंदे पानी में पनपते हैं। ये मच्छर आमतौर पर सूर्यास्त के बाद रात में ही ज्यादा काटते हैं। कुछ केसेज में मलेरिया अंदर ही अंदर बढ़ता रहता है। ऐसे में बुखार ज्यादा ना होकर कमजोरी होने लगती है और एक स्टेज पर पेशंट को हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है, जिससे वह ऐनमिक हो जाता है। 

25 अप्रैल को विश्व मलेरिया 
25 अप्रैल को दुनियाभर में विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। वैसे तो मलेरिया आमतौर पर बारिश के मौसम में जुलाई से नवंबर के बीच ज्यादा फैलता है। मलेरिया में हर व्यक्ति की बॉडी कैसे रिऐक्ट करेगी इसका लेवल अलग-अलग होता है। अगर किसी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम मजबूत है तो हो सकता है मलेरिया का मच्छर काटने के बाद भी उसे कुछ न हो। लेकिन किसी दूसरे व्यक्ति के लिए यही मलेरिया जानलेवा भी साबित हो सकता है। 

भारत की स्थिति 
एक रिपोर्ट के अनुसार,भारत में हर साल लगभग 18 लाख लोगों को मलेरिया की बीमारी से जूझना पड़ता है। पूरी दुनिया में मलेरिया से प्रभावित देशों में से 80 फीसदी केस भारत, इथियोपिया, पाकिस्तान और इंडोनेशिया के होते हैं। भारत की बात करें तो उड़ीसा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, त्रिपुरा और मेघालय जैसे राज्यों में मलेरिया के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। विश्व मलेरिया रिपोर्ट के अनुसार मलेरिया के टाइप पी विवेक्स में पूरी दुनिया में 80 फीसदी मामले ज्यादातर तीन देशों में सामने आते हैं, जिसमें भारत भी शामिल है। 

मौत के आंकड़ों में आयी 
केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में देशभर में मलेरिया के 11 लाख 2 हजार 205 मामले सामने आए थे जो साल 2016 में घटकर 10 लाख 5 हजार 905 हो गया, हालांकि 2015 में यह संख्या फिर बढ़कर 11 लाख 69 हजार 261 हो गई थी। मलेरिया से हुई मौत के राष्ट्रीय आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि इसमें कमी आती गई है। साल 2014 में मलेरिया से 562 मौत हुई तो साल 2015 में 384 और 2016 में 242 मौतें हुईं। 
मच्छरों से होती हैं कई बीमारियां
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मलेरिया के लक्षण 
मलेरिया में आमतौर पर एक दिन छोड़कर बुखार आता है और मरीज को बुखार के साथ कंपकंपी (ठंड) भी लगती है। इसके अलावा इस बीमारी के कई दूसरे लक्षण भी हैं- 
– अचानक ठंड के साथ तेज बुखार और फिर गर्मी के साथ तेज बुखार होना। 
– पसीने के साथ बुखार कम होना और कमजोरी महसूस होना। 
– एक, दो या तीन दिन बाद बुखार आते रहना। 

मलेरिया से बचाव 
– ब्लड टेस्ट कराएं और डॉक्टर की राय से ही कोई दवा लें। 
– अगर दवा की पूरी डोज नहीं लेंगे तो मलेरिया दोबारा होने की आशंका रहती है। 
-इसका पक्का इलाज है, ऐसे में अगर बुखार कम न हो तो डॉक्टर को दिखाएं। 
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मरीज को रखें मच्छरदानी में 
घर में किसी को बुखार हुआ है तो उसे मच्छरदानी में रखें, वरना मच्छर मरीज को काटकर घर भर में दूसरे लोगों को भी मलेरिया फैला सकता है। मरीज को बुखार होने के 7 दिन तक वायरस शरीर में बरकरार रहता है। अगर मरीज को वायरल है तो उसकी चीजें इस्तेमाल न करें और उसे कहें कि छींकते या खांसते हुए मुंह और नाक पर नैपकिन रखे। 

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