लोकसभा चुनाव 2019 : फिर जिम्मेदारी निभाने को तैयार देश के पहले वोटर श्याम नेगी

 नई दिल्ली 
लोकतंत्र के सजग प्रहरी के तौर पर देश के पहले वोटर श्याम शरण नेगी कभी अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटे। 103 साल के नेगी आम चुनाव के सातवें और आखिरी चरण में रविवार को फिर वोट डालने को तैयार हैं। 

आजादी के बाद 70 साल के सफर में देश ने काफी कुछ बदलता देखा है। ऐसा कभी नहीं हुआ, जब हिमाचल प्रदेश के कल्पा में रहने वाले नेगी ने मतदान नहीं किया हो। वह देश के पहले वोटर हैं और इस बार भी मतदान के लिए तैयार हैं। 

नेगी ने ‘हिन्दुस्तान’ को 1951 में अब तक किए गए मतदान की पूरी कहानी बताई। नेगी ने कहा, ‘बर्फबारी की आशंका से यहां बाकी जगहों से पहले वोटिंग कराई जा रही थी। मेरी ड्यूटी भी कल्पा से थोड़ी दूर शोंगटोंग मतदान केंद्र पर लगी थी। मैंने अपने केंद्र के चुनाव अधिकारी से कहा कि देश का पहला चुनाव है और वह वोट करना चाहते हैं। मगर अधिकारी ने हंसते हुए कहा कि कौन सी सेंट परसेंट वोटिंग होनी है क्यों परेशान हो रहे हो। मगर मेरे जिद करने पर उन्होंने अनुमति दी, कहा समय से आ जाना।’

कर्तव्य निभाने पर गर्व
पहले वोटर के रूप में लोकप्रिय होने वाले नेगी का कहना है, ‘पहला वोटर होने का कोई मतलब नहीं है। मुझे इस बात का गर्व है कि देश आजाद होने के बाद मैंने अपना कर्तव्य निभाया।’

अधिकारियों से पहले पहुंच गए थे नेगी 
पहली बार मतदान देने का उत्साह इतना ज्यादा था कि नेगी चुनाव अधिकारियों के पहुंचने से पहले ही वोट करने पहुंच गए। वह बताते हैं, ‘सुबह 6 बजे से भी पहले मैं कल्पा में मतदान केंद्र पर पहुंच गया। मैंने उनसे निवेदन किया कि मुझे भी चुनावी ड्यूटी पर जाना है, इसलिए जल्दी मेरा वोट डलवा दीजिए।’

चुनाव कल 
मंडी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है कल्पा
04 लोकसभा सीट हैं हिमाचल प्रदेश में
19 मई को आखिरी चरण के तहत मतदान इन सीटों पर

                                                                                                 
पहले लोकसभा चुनाव का हाल
03 लोकसभा सीट थी हिमाचल में 1951 में
02 सीटें मंडी—महासू सीटों पर संयुक्त मतदान हुआ था
25.32 प्रतिशत मतदान हुआ था कि इन सीटों पर 1951 में, गोपीराम और अमृत कौर कांग्रेस के टिकट पर जीते थे यहां से 

अंग्रेजों को नहीं देखा
नेगी ने बताया कि हमने अंग्रेजों को कभी देखा नहीं और न ही हमें पता था कि गुलामी क्या है। खुशी थी कि आजादी मिल गई। लोगों को वोटिंग के बारे में भी कुछ पता नहीं था। उन्हें नहीं समझ आ रहा था कि वोट करने से क्या होगा, यह क्या चीज है। बस लगा कि गरीबी दूर हो जाएगी।

एक चाय में वोट 
चुनावों में भ्रष्टाचार को भी नेगी ने देखा है। वह बताते हैं कि समय के साथ चुनावों का माहौल भी बदलने लगा। एक समय ऐसा भी था, जब एक कप चाय में नेता वोट खरीद लेते थे।

ईवीएम के पक्षधर 
नेगी ने कहा, कभी-कभी प्रत्याशियों के लिए अलग-अलग मतपेटियां रखी जाती थीं। इस वजह से कई बार जीतने वाले प्रत्याशी उस गांव पर नाराजगी जाहिर कर देते थे, जहां से उन्हें कम वोट मिले। गड़बड़ी होने की आशंका भी बहुत ज्यादा रहती थी। मगर ईवीएम मशीन के आने से सुविधा हो गई है। 

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