लोकसभा चुनाव से पहले किसानों को फिर बड़ी सौगात देने की तैयारी में कमलनाथ सरकार

भोपाल
हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में किसानो ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 15  सालों से वनवास भोग रही कांग्रेस की नैय्या किसानों के सहयोग से ही पार हो सकी है। इसी के चलते सत्ता में आते ही कांग्रेस का फोकस किसान पर बना हुआ है। विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव से पहले सरकार किसानों को लेकर गंभीर है और अपने वादों और योजनाओं में भी किसानों को आगे रख कर चल रही है। इसी कड़ी में सरकार ने एक बार फिर किसानों को बड़ी सौगात देने जा रही है। सरकार ने फैसला किया है कि वह मंडियों के बाद अनाज खरीद केन्द्रों पर भी किसानों को रियायती दर पर खाना उपलब्ध कराएगी, ताकी दूर-दराज से आए किसानों को इधर-उधर ना भटकना पड़े।

दरअसल, फसलों पकने के बाद किसान मंडी में जाकर अपनी फसल बेचता है। कभी उसका नंबर जल्द आ जाता है तो कभी एक दो दिन भी लग जाते है। जिसके चलते किसानों को खाने-पीने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, टैक्टर-ट्राली को छोड़ भोजन की व्यवस्था में जुटना पड़ता है। इन तमाम परेशानियों को देखते हुए सरकार ने फैसला किया है वह मंडियों के बाद अब अनाज खरीद केन्द्रों पर भी किसानों को दस रुपये में खाना उपलब्ध कराएगी। इससे खरीद केन्द्रों पर आने वाले तकरीबन 10 लाख किसानों को फायदा मिलेगा। खबर है कि खाद्य विभाग ने इसका प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है, लोकसभा चुनाव में इसका फायदा लेने के लिए इस प्रस्ताव को आचार संहिता से पहले कैबिनेट में लाया जा सकता है।

सुत्रों की माने तो प्रति थाली की दर 30 से 40 रुपए रखी जाएगी, अंतर की जो राशि होगी उसकी भरपाई केटर्स को खाद्य विभाग करेगा।जो किसान अनाज बेंचने आएगा उसके साथ आने वाले अन्य पांच से सात किसानों को रियायती दर पर भोजन दिया जाएगा। कैंटिन चलाने के लिए जिला स्तर पर ही ठेके दिए जाएंगे, जिससे उसके संचालन में किसी तरह की कोई परेशानी न हो।खरीदी केन्द्रों पर आने वाले किसानों को टोकन दिया जाएगा। टोकन नम्बर के बाद से गेहूं खरीदी की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। खरीदी केन्द्रों पर अनाज की ग्रेडिंग और सफाई का कार्य भी किया जाएगा। खरीदी की प्रक्रिया पूरी करने में जितने दिन लगेंगे उतने दिन तक उन्हें भोजन के साथ ही उन्हें ठहरने की व्यवस्था की जाएगी। सूत्रों के अनुसार किसानों को रियायती दर पर भोजन कराने में खाद्य विभाग पर 6 करोड़ रुपए से अधिक राशि का अतिरिक्ति आर्थिक भार आएगा।

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