लोकसभा चुनाव: बिहार में दलबदलू उम्मीदवारों पर टिका कांग्रेस का भविष्य
पटना
कभी अविभाजित बिहार की 90 प्रतिशत सीटों पर कब्जा करने वाली देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इस बार के लोकसभा चुनाव में 'उधार के उम्मीदवारों' पर निर्भर हो गई है। राज्य में कुल 9 उम्मीदवारों में से 4 दलबदलू हैं। इन दलबदलू उम्मीदवारों में से दो की घोषणा शुक्रवार को कर दी गई। कांग्रेस पार्टी ने एनसीपी के पूर्व नेता तारिक अनवर को कटिहार और पूर्व बीजेपी एमपी उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह को पूर्णिया से टिकट दिया है।
कांग्रेस पार्टी ने अभी पटना साहिब और वाल्मिकीनगर के लिए अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान नहीं किया है लेकिन माना जा रहा है कि ये सीटें छह अप्रैल को कांग्रेस में शामिल होने जा रहे बीजेपी एमपी शत्रुघ्न सिन्हा और पूर्व बीजेपी नेता कीर्ति आजाद को दी जा सकती हैं। यदि शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब और कीर्ति आजाद कांग्रेस के टिकट पर वाल्मिकीनगर से चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस के नौ में से 4 प्रत्याशी दलबदलू होंगे।
महागठबंधन में सीटों का पेच सुलझा
बता दें कि बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस में सीटों के बंटवारे को लेकर चल रहा विवाद शुक्रवार को सुलझ गया। पटना में एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राज्य के पूर्व डेप्युटी सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने लोकसभा सीटों को लेकर हिस्सेदारी का ऐलान किया। सीट शेयरिंग के फॉर्म्युले के तहत सुपौल और पटना साहिब लोकसभा सीट कांग्रेस के खाते में आई है।
लोकसभा चुनाव के लिए सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान जारी है। इस बार उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड की ऐसी कई सीटें हैं जहां मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। इन तीनों ही राज्यों में 2014 चुनाव में बीजेपी ने विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया था लेकिन इस बार बिहार में महागठबंधन और यूपी में एसपी-बीएसपी-आरएलडी के गठबंधन की बदौलत इन सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार को कड़ी टक्कर मिलने वाली है। एक नजर इन सीटों पर-
यूं तो अमेठी कांग्रेस का गढ़ है और गठबंधन भी यहां से अपना उम्मीदवार नहीं उतार रहा है, फिर भी अमेठी में इस बार मुकाबला कांटे का होगा। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ बीजेपी ने स्मृति इरानी को यहां से टिकट दिया है। स्मृति ने 2014 में भी इसी सीट से राहुल के खिलाफ चुनाव लड़ा था और उन्हें मात भी मिली थी लेकिन उसके बाद से वह अमेठी में काफी सक्रिय रही हैं। दूसरी ओर राहुल यहां से 3 बार सांसद रह चुके हैं।
राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) नेता अजित सिंह पहली बार मुजफ्फरनगर से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। यह सीट जाट बाहुल्य सीट है जो कि आरएलडी का वोटबैंक भी है। वहीं बीजेपी ने यहां से मौजूदा सांसद संजीव बालियान को टिकट दिया है। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद 2014 में हुए चुनाव में ध्रुवीकरण और मोदी लहर में यहां से संजीव बालियान जीत गए थे लेकिन इस बार उनके सामने अजित सिंह के रूप में कड़ी चुनौती होगी। एसपी-बीएसपी गठबंधन के साथ अजित सिंह यहां से जाट, मुस्लिम और दलितों के समीकरण को लेकर अपनी जीत का ताना-बाना बुन रहे हैं।
आरएलडी का गढ़ माने जाने वाली पश्चिमी यूपी की बागपत सीट से पहली बार जयंत चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट से उनके पिता अजित सिंह को बीजेपी के सत्यपाल सिंह से 2014 में मात मिली थी। ऐसे में जयंत के सामने इस सीट पर अपने परिवार का खोया हुआ विश्वास लौटाने की चुनौती होगी। बीजेपी ने इस बार भी मौजूदा सांसद सत्यपाल सिंह को ही टिकट दिया है।
यूपी की अमरोहा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। यहां से मौजूदा बीजेपी सांसद कंवरसिंह तंवर को इस बार इस सीट दानिश अली से कड़ी चुनौती मिल सकती है। दानिश हाल ही में बीएसपी में शामिल हुए हैं। इसके अलावा कांग्रेस ने यहां से राशिद अल्वी को टिकट दिया है। अमरोहा में 20 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। इसके अलावा यहां दलित, सैनी और जाट समुदाय के लोग भी हैं।
उत्तर प्रदेश के यादव परिवार का झगड़ा इस बार लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद सीट पर और ज्यादा साफ नजर आएगा। फिरोजाबाद से इस बार एसपी संरक्षक मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके खिलाफ एसपी ने राम गोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को मैदान में उतारा है। पुराने वोटरों और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच पैठ रखने वाले शिवपाल अपने भतीजे को कड़ी टक्कर देते नजर आएंगे।