‘लड़कियों में अधिक होती है गण‍ित की चिंता, पैरेंट्स व टीचर भी जिम्‍मेदार’

लंदन 
लड़कियां गणित को लेकर लड़कों की तुलना में अधिक चिंतित रहती हैं और इसमें माता-पिता और शिक्षकों का भी अनजाने में काफी योगदान होता है। गणित को अक्सर ही एक कठिन विषय माना जाता है, जिसमें सारी समस्याएं ज्ञान-संबंधी ही नहीं होती। कई बच्चों और वयस्कों को गणित के सवालों को लेकर चिंता, भय, तनाव या बेचैनी का अनुभव भी होता है।

ब्रिटेन में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने गणित संबंधी चिंताओं की प्रकृति और उसके समाधान पर एक अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने 1000 इतालवी छात्रों पर किए अध्ययन में पाया कि प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल दोनों की लड़कियों में गणित और आम चिंता अधिक है। छात्रों ने खराब अंकों या परीक्षाओं तथा भाई-बहनों या सहपाठियों की नकारात्मक तुलना को भी चिंता का कारण बताया।

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से डेनेज सजुक्स ने कहा, 'हर बच्चे में गणित को लेकर चिंता का कारण अलग-अलग हो सकता है, लेकिन हमें प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल के छात्रों के बीच कई सामान्य मुद्दे भी मिले।' छात्रों ने इस संबंध में शिक्षकों और अभिभावकों की भूमिका के बारे में भी चर्चा की। प्राथमिक स्कूल के छात्रों ने ऐसे उदाहरणों का जिक्र भी किया, जहां शिक्षण के अलग-अलग तरीकों से वे भ्रमित हुए, जबकि माध्यमिक स्कूल के छात्रों ने खराब पारस्परिक संबंधों पर टिप्पणी की।

माध्यमिक छात्रों ने संकेत दिया कि प्राथमिक से माध्यमिक स्कूल में आने पर गणित को लेकर चिंता बढ़ने को भी एक कारण बताया, क्योंकि उस समय उन्हें काम कठिन लगता है, जिससे वे तालमेल नहीं बना पाते। शिक्षकों और अभिभावकों को भी जागरूक होने की आवश्यकता है कि उनकी अपनी गणित की चिंता उनके छात्रों या बच्चों के गणित की चिंता को प्रभावित कर सकती है।

गणित की उपयुक्तता के बारे में लिंग संबंधी रूढ़िवादिता और क्षमता भी प्रदर्शन में लैंगिक आधार पर अंतर ला सकती है। कैम्ब्रिज के रोज मैक्‍लीनन ने कहा, 'शिक्षक, माता-पिता, भाई और बहन और सहपाठी सभी मिलकर बच्चे की गणित की चिंता बढ़ाने में भूमिका निभा सकते हैं।' उन्होंने कहा, 'माता-पिता और शिक्षकों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे अनजाने में एक बच्चे के गणित की चिंता में कैसे योगदान दे सकते हैं। गणित को लेकर अपनी चिंताओं और विश्वास प्रणाली से निपटना उनके बच्चों या छात्रों की मदद करने के लिए पहला कदम हो सकता है।'

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