लक्ष्मण ने फिर चलाये शब्दों के बाण, पार्टी की कार्यप्रणाली पर उठाये सवाल

भोपाल
अक्सर अपने बयानों और अपनी ही पार्टी और सरकार पर सवाल उठाने को लेकर सुर्ख़ियों में रहने कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के अनुज लक्ष्मण सिंह ने एक बार फिर पार्टी पर निशाना साधा है| कांग्रेस नेता लक्ष्मण सिंह ने अपनी ही पार्टी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाये हैं|

कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने चुनाव से पहले पर्यवेक्षक भेजने की परंपरा पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया है| उन्होंने ट्वीट कर लिखा है चुनाव से कुछ समय पहले,पार्टी के पर्यवेक्षक आ जाते हैं, जो अधिकतर वोट घटा देते हैं, इन्हें देखकर एक फिल्म की याद आती है, "हम,तुम और वो" हम याने नेता, "तुम" पुज्यनीय मत दाता, "वो" याने——-| लक्ष्मण ने अपने ही अंदाज में फिर शब्दों के बाण चलाये हैं| जिससे एक बार फिर उनके ट्वीट की चर्चा शुरू हो गई है| उनके ट्वीट के अलग अलग मायने निकाले जा रहे हैं| यह ट्वीट ऐसे समय आया है जब दिल्ली में टिकट को लेकर मंथन चल रहा है और राजगढ़ से उनके बड़े भाई का नाम आगे चल रहा है, साथ ही दावेदार भी टिकट के लिए जोर लगा रहे हैं|

लक्ष्मण ने इससे पहले कमलनाथ सरकार में हो रहे तबादलों को लेकर भी निशाना साधा था और इस तरह के तबादलों के दौर पर सवाल उठाये थे| वहीं पुराने चेहरों और नेताओं की पत्निओं के चुनाव लड़ने को भी गलत बताया था| यह टिपण्णी उन्होंने उस समय की जब उनके बड़े भाई जो कि प्रदेश में पार्टी के सबसे पुराने चेहरे हैं, के लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा है, वहीं दिग्विजय की पत्नी अमृता के भी चुनावी मैदान में आने के कयास लगाए जा रहे थे| दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह ने नेताओं की पत्नियों को चुनाव लड़ाने की खिलाफत की थी| उन्होंने ट्वीट कर लिखा था "लोक सभा चुनाव में नया चेहरा,जो कभी लोक सभा का चुनाव नहीं लड़ा हो,को अवसर देना चाहिये।पुराने चेहरों पर दांव खेलना, हानिकारक होगा। नेताओं की पत्नियों को लड़ाना, अत्यंत हानिकारक होगा"|

पत्नी ने जाहिर की थी मंत्री पद न मिलने की पीड़ा

इससे पहले लक्ष्मण सिंह की पत्नी रुबीना शर्मा सिंह ने भी ट्वीट कर कमलनाथ कैबिनेट पर सवाल उठाये थे| उन्होंने कमलनाथ सरकार की एक मंत्री को भाषण नहीं पढ़ पाने के कारण घेरते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ को निशाना बनाया था| वहीं विवाद के बाद यह ट्वीट डिलिट किया| लेकिन दूसरे ट्वीट में लक्ष्मण सिंह को 8 बार के विधायक होने के बाद भी मंत्री पद नहीं मिलने की पीड़ा जताई थी|  वहीं लक्ष्मण सिंह पहले भी अपनी ही पार्टी पर प्रहार करते रहे हैं| 2003 में जब मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह चुनाव हारे थे तो लक्ष्णण सिंह फौरन पाला बदलकर भाजपा में शामिल हो गए थे| वहां से कांग्रेस पर प्रहार करते रहे. भाजपा के टिकट पर वे राजगढ़ से सांसद बन गए|  2009 के लोकसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह ने किसी और को न सिर्फ टिकट दिलाया बल्कि उसे जिताने में अपनी ताकत भी लगा दी| लक्ष्मण सिंह ने 2013 में भाजपा अध्यक्ष नितिन गड़करी के बयान से नाराज़ होकर फिर कांग्रेस में वापसी की|  दिग्विजय सिंह ने फिर उनका पुनर्वास कांग्रेस में करवाया| लक्ष्मण सिंह को विदिशा लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी सुषमा स्वराज के खिलाफ मैदान में उतारा| वे चुनाव हार गए लेकिन प्रतिष्ठापूर्ण सीट होने के कारण कांग्रेस में उनकी जगह बन गयी| इस बार चाचौड़ा विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी ) प्रत्याशी ममता मीना को हराकर लक्ष्मण सिंह चुनाव जीत गए लेकिन उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया| इसको लेकर उनके समर्थक नाराज चल रहे हैं|  

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