रेलवे की नई नीति, वस्तुओं और सेवाओं के बदले देगा कंपनियों को विज्ञापन का मौका

नई दिल्ली
पुराने समय में प्रचलित 'वस्तु विनिमय' सिस्टम को रेलवे नए तरीके से अपनाने जा रहा है। इसके तहत कंपनियों को वस्तुओं और सेवाओं के बदले ट्रेनों में विज्ञापन का मौका दिया जाएगा। इसलिए, यदि आपको ट्रेन में जल्द ही किसी साबुन कंपनी का विज्ञापन दिखे और टॉइलेट में उसी ब्रैंड का साबुन हाथ धोने को मिले तो चौंकने की आवश्यकता नहीं है। 

इस संबंध में रेलवे के सभी जनरल मैनेजर्स को 27 दिसंबर को निर्देश जारी किया गया है। एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने कहा, 'हम एक अनोखे विचार के साथ प्रयोग कर रहे हैं। वस्तु-विनिमय सिस्टम में पैसों की अदला-बदली नहीं होती है। हर दिन लाखों लोग ट्रेनों में सफर करते हैं। कल्पना कीजिए किस तरह की पब्लिसिटी इन ब्रैंड्स को मिलेगी। यह उनके लिए बहुत लुभावना है।' 

यह है सिस्टम 
आदेश में कहा गया है कि यदि एक कोचिंग डिपो ऑफिसर (CDO) को इस तरह का ऑफर मिलता है तो वह इसे रेलवे की वेबसाइट पर 21 दिनों के लिए प्रदर्शित करेगा ताकि इसी तरह के प्रॉडक्ट्स के लिए रुचि रखने वाली दूसरी पार्टीज को भी बराबरी का मौका मिले। 

प्रतीक्षा अवधि खत्म हो जाने के बाद CDO एक पार्टी का चुनाव कर सकता है। आदेश में यह भी कहा गया है कि शुरुआत में इस तरह से विज्ञापन के लिए CDOs प्रत्येक डिपो में दो ट्रेनों के लिए तीन महीने की अनुमति दे सकते हैं। 

अधिकारी ने कहा, 'शुरुआत में हम सेवा की बजाय वस्तु लेने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। कंपनियां धन के स्थान पर अपना प्रॉडक्ट ऑफर कर सकती हैं। हम उन्हें ट्रेनों में विज्ञापन का मौका देंगे।' 

कहां लगेंगे विज्ञापन 
हर कोच में टॉइलेट के भीतर या निकास द्वार के पास अधिकतम चार प्रॉडक्ट्स या इक्विपमेंट के साइनेज लगाए जा सकते हैं। नियम के मुताबिक, विज्ञापन का आकार 6 इंच × 6 इंच होगा। 

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