राजधानी के सरस्वती स्कूल में छात्रा को खडा कर परीक्षा देने के मामले में CM के निर्देश पर DEO पहुंचे छात्रा के घर

भोपाल
राजधानी के शाहजहांनाबाद के सरस्वती को-एड हायर सेकेण्ड्री स्कूल में कक्षा नौवीं की छात्रा को फीस जमा न कर पाने के कारण खडे-खडे पेपर देने की सजा दी गई थी। छात्रा ने दो विषयों संस्कृत और विज्ञान की परीक्षा खडे होकर दी। तीसरे विषय हिन्दी की परीक्षा के पहले छात्रा के पिता ने स्कूल के प्राचार्य से फीस बाद में जमा करने का अनुरोध किया। लेकिन प्राचार्य ने असंवेदनशीलता दिखाते हुए कहा कि बिना फीस जमा किये परीक्षा में नहीं बैठने दिया जायेगा। मामला सीएम के संज्ञान में आने के बाद स्कूल के खिलाफ कार्यवाही के निर्देश दिये गये ।

सीएम के संज्ञान लेने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी धर्मेन्द्र शर्मा ने छात्रा के घर पंहुचकर उसके बयान दर्ज किये। छात्रा के पिता ने डीईओ को बताया कि वह बीस हजार रूपये फीस के जमा कर चुके हैं। सत्रह हजार अभी बाकी हैं।में तीन चार दिन में जमा कर दूंगा। तब जाकर प्राचार्य माने और हिन्दी की परीक्षा छात्रा दे पाई।

डीईओ धर्मेन्द्र शर्मा ने बताया कि हमने सख्त निर्देश दिये हैं कि फीस जमा न होने पर अभिभावकों से ही बात की जाये। छात्र-छात्राओं के फीस के लिए परेशान न किया जाये।छात्रा और उसके पेरेंट्स के बयान शाम को लिए हैं। स्कूल के शिक्षकों और बच्चों के बयान लेकर जांच की जायेगी। स्कूल ने जेजे एक्ट का उल्लंघन किया है। जांच पूरी होने के बाद नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि शासन के सभी अशासकीय शिक्षण संस्थाओं को पूर्व से ही निर्देश है कि किसी भी बच्चे को फीस न भर पाने के कारण न तो स्कूल आने से रोका जाए , ना ही उसे किसी प्रकार की मानसिक प्रताड़ना दी जाए. किसी छात्र को फीस के लिए परीक्षा से वंचित नहीं करने का भी निर्देश दिया गया है.

इस संबंध में स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों के माता-पिता से अलग से चर्चा करने का नियम है. यदि यह मामला सही पाया जाता है तो स्कूल प्रबंधन ने सभी नियमों का उल्लंघन किया है. साथ ही छात्रा को मानसिक प्रताड़ना भी दी है. यह सरकार की नीतियों के भी विरुद्ध है.

बेटियों को पढ़ाने के लिए सरकार निरंतर अभियान चला रही है. सीएम ने कहा कि "बेटी पढ़ेगी तभी आगे बढ़ेगी " यह हमारे लिए सिर्फ नारा नहीं है. हम इसे अभियान के रूप में ले रहे हैं. बेटियों को पढ़ने के प्रोत्साहन के लिये विभिन्न योजनाएं सरकार ने चला रखी हैं. किसी भी बच्चे को फीस के अभाव में पढ़ाई से व किसी गरीब को पैसे के अभाव में इलाज से वंचित नहीं रखा जा सकता है.

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि दोषी पाए जाने पर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए. उन्होंने कहा कि बच्चे अपने भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए वर्षभर पढ़ाई करते हैं और उन्हें परीक्षा का इंतजार रहता है. कड़ी परिश्रम और लगन से परीक्षा को लेकर तैयारियां करते हैं. ऐसे में उनको परीक्षा के दौरान किसी भी प्रकार की मानसिक प्रताड़ना मानवीय मूल्यों के भी खिलाफ है व नियमों के विरुद्ध है. यह हमारी सरकार की मंशा के भी विपरीत है. मैंने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है और ऐसा कृत्य करने वालों को मैं कतई माफ नहीं कर सकता. ऐसे स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो ताकि भविष्य में कोई अन्य स्कूल इस तरह का कृत्य ना कर सके.
 

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