रविशंकर का टिकट तय, शाहनवाज हुसैन पर सस्पेंस बरकरार

पटना        
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने लोकसभा चुनावों के लिए कई उम्मीदवारों के नामों पर मुहर लगा दी है. बस उसके औपचारिक एलान का इंतजार है. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. बीजेपी ने उन्हें शत्रुघ्न सिन्हा की जगह पटना साहिब से उतारने का फैसला किया है.

दिल्ली में शनिवार को बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति की मैराथन बैठक हुई. करीब 8 घंटे तक चली मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे. माना जा रहा है कि रविवार को यूपी समेत कई अन्य राज्यों के उम्मीदवारों के नामों पर भी फैसला होगा. इस बार आम चुनाव में बिहार और यूपी में बीजेपी की सियासत की परीक्षा है. नजरें दोनों राज्यों की 120 सीटों पर है. इन दो राज्यों से ही सत्ता तक पहुंचने वाले 2019 के असली विजेता की तस्वीर साफ होगी. यही वजह है कि बीजेपी बिहार और यूपी के लिए खास तवज्जो दे रही है.

रेस में बीजेपी अपने विरोधियों को परास्त करने के लिए ने शनिवार देर रात तक जो मैराथन बैठक की, उसमें से सबसे अहम नाम बिहार से निकल कर आए. जिन नामों पर पार्टी ने फैसला किया उसमें सबसे अहम नाम है केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद का. बीजेपी ने इन्हें पटना साहिब से उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है. पहली बार रविशंकर प्रसाद लोकसभा चुनाव लड़ेंगे.

दूसरा अहम नाम है केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का. 2014 में वे नवादा से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. इस बार सीट बदल गई है. गिरिराज सिंह को पार्टी ने इस बार बेगूसराय का टिकट थमाया है. तीसरा नाम है केंद्रीय मंत्री आर के सिंह का. पार्टी ने उनकी सीट बरकरार रखी है, यानी 2014 में आरा से चुनाव जीतने वाले आरके सिंह पर पार्टी ने फिर भरोसा जताया है.

केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह की भी सीट बरकरार है. उन्हें पार्टी ने पूर्वी चंपारण से ही उम्मीदवार बनाया है. वही राजीव प्रताप रूडी को इस बार भी बीजेपी ने सारण से ही टिकट दिया है. 2014 में वे लालू को हराकर संसद पहुंचे थे. बीजेपी का फैसला जाति वाले फॉर्मूले की मिसाल है जिसके तहत पटना साहिब से रविशंकर प्रसाद को टिकट दिया गया है. इस हाईप्रोफाइल लोकसभा क्षेत्र में कायस्थ वोट की बहुलता है. इसी वजह से बीजेपी ने 2014 में शत्रुघ्न सिन्हा को टिकट थमाया था लेकिन शॉटगन के बागी होने के बाद पार्टी ने रविशंकर प्रसाद पर भरोसा जताया है.

2014 में बीजेपी ने बिहार की 30 सीटों पर चुनाव लड़े थे. उनमें से 22 पर जीत हासिल की थी. इस बार पार्टी महज 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. ऐसे में कुछ सीटों को सहयोगियों के लिए छोड़ना पड़ा है. जानकारी के मुताबिक बीजेपी ने भागलपुर, सीवान, गोपालगंज, गया, झंझारपुर और बाल्मीकिनगर सीट जेडीयू को देने का फैसला किया है. इसमें भागलपुर को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर बीजेपी की जीत हुई थी लेकिन सहयोगियों से तालमेल के फॉर्मूले में 17 सीटें मिली हैं. लिहाजा जीती हुई सीट छोड़नी पड़ रही है.

उधर बिहार कांग्रेस चुनाव अभियान समिति ने कहा कि कांग्रेस बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 11 पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. बिहार चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के मुताबिक पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी को बिहार की सीटों के लिए उम्मीदवार चयन और सीटों के निर्धारण के लिए अधिकृत किया गया है. सिंह ने कहा कि 17 मार्च को इसकी विधिवत घोषणा की जाएगी.

उन्होंने बताया कि बिहार से संभावित प्रत्याशियों की सूची केंद्र को भेजी जाएगी परंतु अंतिम मुहर अध्यक्ष ही लगाएंगे. गौरतलब है कि कांग्रेस बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल है. इस महागठबंधन में कांग्रेस के अलावा राष्ट्रीय जनता दल (राजद), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, विकासशील इंसान पार्टी शामिल है.

इससे पहले बिहार कांग्रेस चुनाव समिति की बैठक में भाग लेने पटना पहुंचे कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि महागठबंधन में सभी कुछ तय कर लिए गए हैं. कहीं कोई नाराजगी नहीं है. हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी की नाराजगी के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जो भी नाराजगी है, वह दूर कर ली जाएगी और 17 मार्च को सभी उम्मीदवारों की घोषणा कर दी जाएगी.

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