मुकेश अंबानी को लगा घाटा, 13 हजार करोड़ रुपए में बेच रहे हैं 1400 किमी लंबी गैस पाइपलाइन

 
नई दिल्ली

दुनिया के 13वें नंबर के रईस मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज की 1400 किमी लंबी गैस पाइपलाइन बिकने जा रही है। कनाडियन कंपनी ब्रुकफिल्ड ने इसे खरीदने की तैयारी भी शुरू कर दी है। कंपनी के इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्ट (INVIT) ने रिलायंस गैस ट्रांसपोर्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम से पहचाने जाने वाली ईस्ट वेस्ट पाइपलाइन (EWPL) ने गुरुवार को preliminary placement memorandum दायर कर अधिग्रहण की इच्छा जताई है। वह इसके लिए मुकेश अंबानी को 13 हजार करोड़ रुपए चुकाएगी। 

घाटे की वजह से बेच रहे हैं अंबानी 
मुकेश अंबानी की यह पाइपलाइन आंध्र के तटीय क्षेत्र का किनाडा से गुजरात के भरूच तक बिछाई गई है। कृष्णा गोदावरी बेसिन के Reliance Industries (RIL) blocks में  प्राकृतिक गैस के उत्पादन में गिरावट होने से  घाटा हो रहा था। इसकी क्षमता के सिर्फ पांच प्रतिशत ही इस्तेमाल हो रहा था। 

चल रही है बातचीत 
कनाडा की फर्म की तरफ से अधिग्रहण ब्रुकफील्ड के इनविट फंड के जरिए होगा, जो भारत में अहम बुनियादी ढांचे और रियल एस्टेट फंडों में निवेश करता है। ब्रुकफील्ड के पास भारत में 2.10 करोड़ वर्गफुट ऑफिस स्पेस है और इसने गैमन और केएमसी कंस्ट्रक्शन से 700 किलोमीटर टोल रोड भी खरीदा है। इसकी संभावित बिक्री के लिए ईडब्ल्यूपीएल ने अपने पाइपलाइन इन्फ्रास्ट्रक्चर को पाइपलाइन इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (पीआईपीएल) के तौर पर अलग करने का फैसला लिया, जिसकी बिक्री ब्रुकफील्ड को की जाएगी। कनाडा की कंपनी इसका कैसे कायापलट करेगी, यह बड़ा सवाल है।

यह है संकट 
विश्लेषकों ने कहा कि परिवहन के लिए उपलब्ध गैस के लिहाज से पाइपलाइन का नकदी प्रवाह संवेदनशील है। कम गैस ने इसके क्षमता इस्तेमाल और राजस्व में कमी ला दी, लिहाजा नकदी पर असर पड़ा। इसकी मुख्य वजह पिछले कुछ सालों में केजी डी-6 ब्लॉक से आरआईएल के गैस उत्पादन में आई भारी गिरावट रही, जिसने इसके नकदी प्रवाह को अवरोधित किया। वित्त वर्ष 2019 की पहली तिमाही में इसका औसत उत्पादन करीब 4.1 एमएमएससीएमडी था, जो वित्त वर्ष 2017 के मुकाबले करीब 8 एमएमएससीएमडी कम है और वित्त वर्ष 2014 से 2016 के मुकाबले करीब 12 एमएमएससीएमडी कम था लेकिन जानकारों का कहना है कि आरआईएल व बीपी की संयुक्त उद्यम वाली परियोजना से उत्पादन शुरू होने के बाद गैस की मात्रा में बढ़ोतरी की संभावना है। 
 

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