मुआवजे के लिए नवजात बच्चे की लाश के बजाय गूंथा हुआ आटा लेकर अस्पताल पहुंचीं महिलाएं

मुरैना
मुरैना में 16 हजार रुपये का सरकारी मुआवजा (Compensation) लेने के लिए कुछ महिलाओं ने मिलकर फर्जीवाड़ा (Fraud) करने की कोशिश की, मगर उनकी चोरी पकड़ी गई. दरअसल तीन महिलाओं ने आटा गूंथकर उसे मृत बच्चे का रूप दिया था. फिर उसे कपड़े में लपेट कर डॉक्टर (Doctor) के सामने पेश करते हुए मुआवजा लेने की कोशिश कर रही थीं. लेकिन इन महिलाओं पर डॉक्टर का संदेह तब बढ़ गया जब उन्होंने मृत बच्चे को दिखाने से मना कर दिया. इस मामले को लेकर डॉक्टर की महिलाओं के साथ बहस होने लगी. बहस के क्रम में ही उस गूंथे हुए आटे का एक टुकड़ा टूटकर नीचे गिर गया, जिसे वे मृत बच्चा बता रही थीं.

इस घटना के बाद आगे बहस करने की गुंजाइश खत्म हो गई. इस दृश्य को देखकर चीफ मेडिकल एंड हेल्थ ऑफिसर (Chief Medical & Health Officer) डॉ. विनोद गुप्ता हैरान रह गए. उन्होंने कहा कि जिंदगी में ऐसा कुछ पहले कभी नहीं देखा. गुप्ता ने बताया कि महिलाओं ने आटे को लाल रंग से रंग दिया था और उसे नवजात (Infant) जैसा आकार देने की कोशिश की थी.

मिली जानकारी के अनुसार, तीनों महिलाएं मंगलवार की रात सरकारी एंबुलेंस (Government Ambulance) के जरिए कैलारास अस्पताल (Kailaras Hospital) पहुंचीं थीं. अस्पताल आई तीनों में से एक महिला ने बताया कि उसने घर पर मृत बच्चे को जन्म दिया. इसी आधार पर उसने मांग की कि उसका नाम मुख्यमंत्री मैटरनिटी एंड स्कीम (Chief Minister Maternity and Scheme) के लिए अस्पताल के रिकॉर्ड (Hospital Record) में शामिल किया जाए. जाहिर है कि ऐसा कुछ करने से पहले जिम्मेदार डॉक्टर और अधिकारी इस बात को सुनिश्चत करना चाहेंगे कि वाकई महिला ने मृत बच्चे को जन्म दिया.

चीफ मेडिकल एंड हेल्थ ऑफिसर ने बताया कि फर्जीवाड़ा करने की कोशिश कर रही महिलाएं अस्पताल आई थीं. महिलाएं मैटरनिटी वार्ड (Maternity ward) में भर्ती होना चाह रही थीं. उन्होंने कहा कि एक महिला के हाथ में कपड़े में लिपटा हुआ आट से गूंथा हुआ वही 'बच्चा' था, जिसे वे मृत बच्चा बता रही थीं. लेकिन सच्चाई तब सामने आ गई जब उन्होंने ड्यूटी पर मौजूद नर्स को मृत बच्चे को दिखाने से इनकार कर दिया. उनके इनकार करने के बाद नर्स को संदेह हुआ और उन्होंने सीनियर डॉक्टर को बुलाया. फिर डॉक्टर से बहस के दौरान ही उनकी पोल खुल गई.

डॉक्टरों ने इसकी सूचना पुलिस (Police) को दी. पूछताछ के दौरान महिलाओं ने स्वीकार किया कि वे 16 हजार रुपये का मुआवजा लेने की कोशिश कर रही थीं. फिर महिलाएं रोने लगीं और माफी मांगने लगीं. इस मामले में पुलिस ने कोई केस दर्ज नहीं किया और महिलाओं को छोड़ दिया. बता दें कि पिछले साल 1 अप्रैल को शुरू की गई सरकारी स्कीम के तहत महिलाओं को मुआवजा दिया जाता है.

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